SC quashes ban on Media One: इन दिनों सुप्रीम कोर्ट का खेल किसी को नहीं समझ में आ रहा है। एक ओर “लोकतंत्र के रक्षक” के रूप में वे केंद्र सरकार को बात बात पर चुनौती देते हैं, तो दूसरी ओर विपक्ष को मौके पर चौका भी नहीं मारने देते।
वो कैसे? हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” का हवाला देते हुए मलयालम चैनल मीडिया वन पर से प्रतिबंध (SC quashes ban on Media One) हटा दिया। साथ ही साथ मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा ये भी दावा किया गया कि मोदी सरकार “राष्ट्रीय सुरक्षा” के नाम पर प्रेस की स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं।
#BREAKING Supreme Court refuses to entertain the petition filed by 14 Opposition political parties seeking guidelines against alleged abuse of arrest powers by CBI and ED. #SupremeCourt pic.twitter.com/4RQkP7PK5n
— Live Law (@LiveLawIndia) April 5, 2023
परंतु विपक्ष को इस विषय (SC quashes ban on Media One) पर आह्लादित होने का अवसर भी नहीं मिला। कुछ ही दिन पूर्व लगभग 14 राजनीतिक पार्टियों ने केन्द्रीय एजेंसियों को नियंत्रित करने हेतु सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। कांग्रेस और सपा समेत इन पार्टियों का आरोप था कि मोदी सरकार आपराधिक कार्रवाई के नाम पर “लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है”।
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परंतु यहाँ अवसर होते हुए भी चंद्रचूड़ ने हाथ पीछे खींचते हुए इस मुकदमे को खारिज करवा दिया। उनका ध्येय स्पष्ट था : कोई भी मुंह उठाकर सुप्रीम कोर्ट में अपनी इच्छापूर्ति हेतु नहीं पधार पाएगा। परंतु इस लॉजिक से तो मीडिया वन पर प्रतिबंध (SC quashes ban on Media One) भी नहीं हटाना चाहिए था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के वर्त्तमान पीठ का रवैया देखकर एक ही प्रश्न मन में उठता है, “अरे कहना क्या चाहते हो?”
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