सुप्रीम कोर्ट (SC) ने मंगलवार (9 अप्रैल) को महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को 1 करोड़ 64 लाख रुपए का भुगतान करने को कहा है। नवलखा पर 2017 में पुणे में एल्गार परिषद के आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। इसके कारण भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी।
NIA ने मंगलवार 9 अप्रैल को जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच को बताया कि हाउस अरेस्ट में रहने के दौरान नवलखा को मिली सुरक्षा का भुगतान 1 करोड़ 64 लाख है। जो उसे चुकाना है। कोर्ट ने नवलखा के वकील से कहा कि यदि आपने हाउस अरेस्ट की मांग की है तो आप ही को इसका भुगतान करना होगा। आप अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
23 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
हाईकोर्ट की जमानत पर SC ने रोक लगा दी थी। इसके बाद मामले की सुनवाई 23 अप्रैल की तारीख तय की गई। 7 मार्च को नवलखा के वकील ने भुगतान के पैसों पर सवाल उठाया था और जबरन वसूली का भी आरोप लगाया था।
पहले किया था 10 लाख का भुगतान
NIA के वकील राजू का कहना था कि नवलखा के हाउस अरेस्ट के समय बहुत से पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। इसपर नवलखा के वकील ने कहा कि हमें भुगतान करने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन, भुगतान में मांगे गए पैसे एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा कि नवलखा इससे पहले 10 लाख रूपए का भुगतान कर चुके हैं लेकिन अब वो इससे बच रहे हैं।
यह है पूरा मामला
महाराष्ट्र के पुणे में साल 2017 में एल्गार परिषद के आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण के बाद भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। पुलिस का यह भी दावा रहा है कि कार्यक्रम के आयोजकों का नक्सलियों से संबंध है।
इस हिंसा के बाद जनवरी 2018 में गौतम नवलखा के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था, लेकिन गौतम नवलखा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिसंबर 2023 में जमानत दे दी थी। NIA के कहने पर SC ने नवलखा की जमानत पर रोक लगा दी थी।
जेल भेजे जाने के बजाय नवलखा ने खुद को हाउस अरेस्ट रखे जाने की गुहार लगाई थी। उसने खुद के बिगड़े स्वास्थ्य का हवाला दिया था। SC ने 10 नवंबर 2022 को नवलखा को 1 महीने तक हाउस अरेस्ट रखे जाने को मंजूरी दी थी। हाउस अरेस्ट के दौरान नवलखा 24 घंटे महाराष्ट्र पुलिस की सिक्योरिटी में रहा था।
नवलखा के खिलाफ 2018 में मामला दर्ज हुआ था
13 सितंबर को हाई कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज केस को निरस्त करने से इनकार कर दिया था हालांकि अदालत ने तीन हफ्ते तक नवलखा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
पुणे पुलिस ने एक दिसंबर, 2017 को भीमा-कोरेगांव में हुई कथित हिंसा के मामले में जनवरी 2018 में मामला दर्ज किया था। इस मामले में नवलखा के साथ वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी पाए गए थे।
इन शर्तों के साथ मिली थी राहत
70 साल के गौतम नवलखा ने कोर्ट को बताया था कि वह स्किन की एलर्जी और दांत की समस्याओं से पीड़ित हैं और वह संदिग्ध कैंसर के मद्देनजर टेस्ट कराना चाहते थे। कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए कुछ शर्तें रखी थी कि, इनके मुताबिक- नवलखा किसी से बातचीत के लिए मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर का उपयोग नहीं कर सकेंगे।
साथ ही न कोई अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। वे न मीडिया से बात करेंगे और केस से जुड़े लोगों और गवाहों से भी संपर्क नहीं करेंगे। पुलिस की मौजूदगी में दिन में केवल एक बार मोबाइल पर बात करने की परमिशन दी गई है।
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