अखिलेश और जयंत ने हरियाणा में यूं ही नहीं छोड़ी दावेदारी, यूपी में गठबंधन का बदल सकता है ‘गणित’
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अखिलेश और जयंत ने हरियाणा में यूं ही नहीं छोड़ी दावेदारी, यूपी में गठबंधन का बदल सकता है ‘गणित’

हरियाणा में जयंत चौधरी और अखिलेश यादव ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। आने वाले दिनों में यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। ऐसे में इस कदम के राजनैतिक विश्लेषक अलग़-अलग मायने निकाल रहे हैं।

Sudhakar Singh द्वारा Sudhakar Singh
10 September 2024
in मत, राजनीति
अखिलेश और जयंत ने हरियाणा में यूं ही नहीं छोड़ी दावेदारी, यूपी में गठबंधन का बदल सकता है ‘गणित’

जयंत चौधरी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

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दो राज्यों में विधानसभा का चुनाव है- हरियाणा और जम्मू-कश्मीर। इन दोनों चुनावी राज्यों के दो राजनैतिक घटनाक्रम कहीं न कहीं गठबंधन की बिसात पर नई सुगबुगाहट को जन्म दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने कहा कि वह हरियाणा में अपने कैंडिडेट नहीं उतारेगी और इंडिया गठबंधन को सपा का पूरा समर्थन रहेगा। दूसरी ओर राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने जम्मू-कश्मीर में 20 सीटों पर कैंडिडेट उतारने का ऐलान किया है। जयंत चौधरी की आरएलडी का 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन था। जयंत की पार्टी ने एक और ऐलान किया है कि उनकी पार्टी आरएलडी हरियाणा की किसी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी। यानी जयंत ने हरियाणा का मैदान बीजेपी के लिए खुला छोड़ दिया है।

जाट-किसान बहुल हरियाणा चुनाव से दूर आरएलडी

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पहले बात जयंत चौधरी की कर लेते हैं। मैं कोई चवन्नी नहीं हूं, जो पलट जाऊं। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी का यह बयान काफी चर्चित हुआ था। जयंत चौधरी इसके बाद 2024 में पलट गए। आरएलडी ने बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया और तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद जयंत चौधरी केंद्र सरकार में भागीदार हैं। लोकसभा में गठबंधन के बाद जयंत ने विधानसभा चुनावों में एक तरीके से बीजेपी को झटका दिया है। एक तो जम्मू-कश्मीर में उनकी पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। आरएलडी ने जम्मू-कश्मीर के लिए 23 स्टार प्रचारकों की जो लिस्ट जारी की है, उसमें पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी, यूपी के दोनों सांसद चंदन चौहान और राजकुमार संगवान का नाम शामिल है।

जम्मू-कश्मीर में 20 सीटों पर लड़ने की तैयारी

आरएलडी के रुख में एक और बदलाव हरियाणा चुनाव को लेकर दिखा। आरएलडी की दलील है कि जम्मू-कश्मीर में किसानों के बीच आरएलडी की अच्छी पैठ है। साथ ही 10 साल बाद चुनाव होने और लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत करने के लिए उसने चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं हरियाणा में आरएलडी ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। वेस्ट यूपी के किसानों और जाट समाज की राजनीति करने वाली आरएलडी ने हरियाणा क्यों छोड़ दिया, यह समझ नहीं आता। हरियाणा ऐसा राज्य है, जहां खेती-किसानी से जुड़े जाट समाज की अच्छी आबादी है। क्या जयंत चौधरी 2027 के लिए अपने दरवाजे खुले रखना चाहते हैं?

यूपी उपचुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन के फॉर्म्युले पर सस्पेंस 

अब आते हैं अखिलेश यादव पर। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में गठबंधन किया। सपा ने 63 और कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा। सपा को 37 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। इस गठबंधन ने यूपी की 80 में से 43 सीटें जीत लीं, यानी आधी से ज्यादा। यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि 2014 में 71 और 2019 में 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 33 सीटों पर ही सिमट गई। अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि सपा हरियाणा में इंडिया गठबंधन का समर्थन करेगी। इस कदम से अखिलेश ने कांग्रेस के लिए थोड़ा मुश्किल खड़ी कर दी है। मुश्किल इसलिए, क्योंकि यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। लोकसभा में अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस इन दस में से आधी सीटें गठबंधन के तहत चाहती है। हालांकि अखिलेश ऐसा शायद ही करें। बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी ने 60-40 का फॉर्म्युला दिया है, यानी 10 में से 6 सीटें सपा को और 4 सीटें कांग्रेस को दी जाएं। वहीं सपा दो से ज्यादा सीटें देना नहीं चाहती। यूपी का उपचुनाव तय कर देगा कि 2027 में सपा और कांग्रेस के गठबंधन का क्या भविष्य हो सकता है।

अखिलेश के दांव से कांग्रेस फंसी

अखिलेश यादव ने जो दांव खेला है, उससे कांग्रेस के लिए सीटों की जिद आसान नहीं होगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि अखिलेश यादव ने सीटों को लेकर हरियाणा में किसी तरह का दबाव नहीं बनाया। अब जब यूपी में उपचुनाव होगा, तो अखिलेश को कांग्रेस से भी यही उम्मीद होगी। अखिलेश को पता है कि अगर कांग्रेस को ज्यादा सीटें दी गईं और वह उपचुनाव की कुछ सीटों पर जीत जाती है, तो 2027 में कांग्रेस गठबंधन के लिए और बड़ा मुंह खोलेगी। 2017 विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। तब सपा ने 311 और कांग्रेस ने 114 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। सपा ने गठबंधन में कांग्रेस को 105 सीटें दी थीं और कुछ सीटों पर दोनों पार्टी के उम्मीदवारों में फ्रेंडली फाइट थी। नतीजों में सपा 47 और कांग्रेस 7 सीटें ही जीत सकी थी। ऐसे में अखिलेश 2027 के चुनाव में सीटों के बंटवारे पर काफी सोच-समझकर चाल चलेंगे।

उपचुनाव पर टिका 2027 में गठबंधन का गणित?

सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव शुरुआत से ही कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ थे। 2017 का चुनाव नतीजा आने के बाद मुलायम ने कहा था कि सपा ने अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया होता तो यूपी में उसकी फिर सरकार बनती। मुलायम ने तब कहा था कि वह पहले ही विरोध में थे, इसीलिए गठबंधन का प्रचार नहीं किया। मुलायम ने नसीहत दी थी कि सपा का वोट बैंक कांग्रेस के साथ गठबंधन पर खिसक जाएगा, क्योंकि कांग्रेस कमजोर हुई है तभी सपा आगे बढ़ी। यूपी में सपा-कांग्रेस के गठबंधन का भविष्य क्या होगा, यह बहुत कुछ उपचुनाव में सीटों के बंटवारे और फिर नतीजों पर निर्भर करेगा। वहीं जयंत चौधरी का उपचुनाव और फिर आने वाले दिनों में क्या रुख होगा, इस पर भी नजरें टिकी हैं।

Tags: Akhilesh YadavJayant ChaudharyRahul GandhiSP Congress AllianceUP Bypoll 2024Up Politicsअखिलेश यादवकांग्रेस और सपा गठबंधनजयंत चौधरीयूपी राजनीतिहरियाणा विधानसभा चुनाव
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20 November 2025

20 नवंबर को एक ऐतिहासिक जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के...

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