2008 में मुंबई में कई जगहों पर आतंकी हमला हुआ और उसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने पद से इस्तीफे की पेशकश की जिसे कांग्रेस आलाकमान ने स्वीकार कर लिया। हमले के बाद विलासराव अपने बेटे रितेश देशमुख और फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा के साथ होटल ताज का मुआयना करने पहुंचे थे जिसे लेकर उनकी खूब आलोचना हुई थी। विलासराव के इस्तीफे के बाद अशोक चव्हाण को महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। अशोक चव्हाण के पिता शंकरराव चव्हाण भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे थे। शंकरराव और अशोक चव्हाण की जोड़ी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाली पहली पिता-पुत्र की जोड़ी बन गई थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों की इस सीरीज में आज जानेंगे अशोक चव्हाण की कहानी।
‘मेरे सपनों की रानी’ गुनगुनाते थे अशोक चव्हाण
अशोक चव्हाण का जन्म 28 अक्टूबर 1958 को मुंबई में हुआ था। चव्हाण की स्कूली शिक्षा फोर्ट के सेंट जेवियर स्कूल से हुई है। उन्होंने 1979 में मुंबई यूनिवर्सिटी से बीएससी और 1981 में पुणे यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री प्राप्त की है। अशोक चव्हाण को राजनीति अपने पिता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण से विरासत में मिली थी। चव्हाण स्कूल-कॉलेज में अपने सहपाठियों को अक्सर अपने पिता का मुख्यमंत्री होना नहीं बताया करते थे।
मशहूर बॉलीवुड ऐक्टर महेश मांजरेकर उनके दोस्त हैं और दोनों कॉलेज में साथ पढ़ते थे। यहां तक की मांजरेकर को भी शुरुआत में नहीं पता था कि चव्हाण के पिता सीएम हैं और एक अखबार में फोटो छपने के बाद मांजरेकर को अशोक चव्हाण का यह राज पता चला था। अशोक चव्हाण को ऐक्टर राजेश खन्ना पसंद थे और वे अपने दोस्तों के साथ अक्सर सिनेमा देखने जाया करते थे। चव्हाण अक्सर आराधना फिल्म का गाना ‘मेरे सपनों की रानी’ गुनगुनाते रहते थे।
30 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे
1985 में वे नांदेड में संजय गांधी निराधार योजना के चेयरमैन बने और 1986-1995 के बीच महाराष्ट्र कांग्रेस की युवा इकाई के उपाध्यक्ष और महासचिव रहे। मार्च 1986 में कांग्रेस ने दूसरी बार शंकरराव चव्हाण को मुख्यमंत्री बना दिया जो उस वक्त नांदेड़ से सांसद थे। उनके सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद 1987 में इस लोकसभा सीट पर उप-चुनाव हुए तो कांग्रेस ने अशोक चव्हाण को उम्मीदवार बनाया। अशोक चव्हाण ने इस चुनाव में जीत दर्ज की और वे करीब 30 वर्ष की उम्र में ही लोकसभा पहुंच गए। हालांकि, 1989 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1992 में चव्हाण महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने और 1993 में बतौर मंत्री महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए। चव्हाण 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव भी रहे।
दो बार मुख्यमंत्री रहे चव्हाण
1999-2003 तक वे महाराष्ट्र में राजस्व और प्रोटोकॉल मंत्री रहे, 2003-2004 के बीच परिवहन, बंदरगाह और संस्कृति मामलों का प्रभार भी उनके पास रहा। 2004 से 2008 में मुख्यमंत्री बनने से पहले तक वे उद्योग, खनन, संस्कृति मामले और प्रोटोकॉल मंत्री रहे थे। 2008 में विलासराव देशमुख के इस्तीफे के बाद वे दिसंबर 2008 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। 2009 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की जीत हुई और एक बार फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार माधव किन्हलकर ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक मराठी दैनिक में ‘अशोक पर्व’ शीर्षक से पेड परिशिष्ट प्रकाशित करवाई लेकिन उसका ब्यौरा खर्च में शामिल नहीं किया। हालांकि, चव्हाण और अखबार प्रबंधन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह पेड न्यूज नहीं थी।
मुख्यमंत्री के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान चव्हाण का नाम आदर्श सोसाइटी घोटाले में सामने आया जिसके चलते उन्होंने नवंबर 2010 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 2014 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और वे सांसद चुन लिए गए। 2015 में उन्हें महाराष्ट्र कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया। फरवरी 2024 में चव्हाण ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और वे बीजेपी में शामिल हो गए। पार्टी में शामिल होने के कुछ ही दिनों बाद बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाया और चव्हाण फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं।