यकीनन इतिहास पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का कहीं ज्यादा उदारता पूर्वक मूल्यांकन करेगा। शायद वर्तमान भी करता-अगर कांग्रेस (गांधी परिवार) ने उन्हें नीचा दिखाने का हर मुमकिन प्रयास न किया होता। अफ़सोस ये कि ये प्रयास उनकी अंतिम यात्रा के दिन भी जारी रहा।
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

‘गांधी परिवार’ बार-बार नीचा ना दिखाता तो ‘इतिहास’ ही नहीं ‘वर्तमान’ भी करता मनमोहन सिंह का उदार मूल्यांकन

यकीनन इतिहास पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का कहीं ज्यादा उदारता पूर्वक मूल्यांकन करेगा। शायद वर्तमान भी करता-अगर कांग्रेस (गांधी परिवार) ने उन्हें नीचा दिखाने का हर मुमकिन प्रयास न किया होता। अफ़सोस ये कि ये प्रयास उनकी अंतिम यात्रा के दिन भी जारी रहा।

Sambhrant Mishra द्वारा Sambhrant Mishra
28 December 2024
in चर्चित, राजनीति
मनमोहन सिंह और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

मनमोहन सिंह और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी

Share on FacebookShare on X

वो जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लमहों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई…

उर्दू के अच्छे जानकार और शेर-ओ-शायरी के शौक़ीन मनमोहन सिंह को मुज़फ़्फ़र रज़्मी का ये शेर बेहद पसंद था। मनमोहन सिंह की अपनी ज़िन्दगी भी इस शेर के इर्द गिर्द ही रही। इतिहास से अपने बेहतर और उदार मूल्यांकन की अपेक्षा रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब स्वयं इतिहास में विलीन हो चुके हैं, ये प्रश्न अपने पीछे छोड़कर कि भारतीय जनमानस और संसदीय राजनीति का समकालीन दौर उनका मूल्यांकन कैसे करेगा?

संबंधितपोस्ट

अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

कितना भरोसेमंद है BBC? नई दिल्ली से तेल अवीव और वॉशिंगटन तक क्यों गिरती जा रही है बीबीसी की साख और विश्वसनीयता ?tfi

और लोड करें

दिलचस्प पहलू ये है कि बीते दो दिनों से देश के तमाम प्रतिष्ठित अख़बार और खबरिया चैनल्स बतौर प्रधानमंत्री-अर्थशास्त्री उनकी सादगी, ईमानदारी, दूरदर्शिता, निर्भीकता और सहज मानवीय संवेदनाओं के किस्सों से भरे हैं। उनकी शान में कसीदे गढ़े जा रहे हैं।

बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी प्रेस वार्ता में जब डॉ. मनमोहन सिंह मजबूर या आहत होकर स्वयं के मूल्यांकन का फैसला समय पर छोड़ रहे थे, तब उन्होंने शायद ही सोचा होगा कि कभी मीडिया भी उनका ऐसा मूल्यांकन करेगा वो भी ठीक उस वक्त, जब वो इतिहास में विलीन हो रहे होंगे। लेकिन प्रश्न यह है कि एक अर्थशास्त्री से लेकर प्रधानमंत्री तक के 5 दशक के कार्यकाल में जिस व्यक्ति की शुचिता-सादगी और ईमानदारी पर एक दाग़ तक न हो। जिसका संपूर्ण कार्यकाल कई बड़े और ऐतिहासिक फैसलों से भरा रहा हो, उसे अपने अपने उदार मूल्यांकन का फैसला समय पर क्यों छोड़ना पड़ा? और वर्तमान उनके साथ कुछ हद तक निर्मम क्यों रहा? विचार करने पर इन तमाम सवालों का एक ही जवाब मिलता है और वो है उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस। (कांग्रेस का अर्थ गांधी परिवार ही समझें) दरअसल गांधी परिवार ने मनमोहन सिंह को कमज़ोर और थका प्रधानमंत्री साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सरकार से अधिक पार्टी के लिए जवाबदेह रहे मनमोहन!

वर्ष 2004 में जब सोनिया गांधी ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए मनमोहन सिंह के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ी थी, तभी स्पष्ट हो चुका था कि वो एक कठपुतली प्रधानमंत्री से अधिक कुछ नहीं होंगे। प्रधानमंत्री आवास में भले ही मनमोहन सिंह रहते रहे हों, लेकिन सरकार 10 जनपथ और फिर 12 तुगलक लेन से ही चलती रही। उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण ये था कि ‘परिवार’ गाहे-बगाहे पूरी बेशर्मी के साथ ये जताता भी रहा कि इस सरकार का रिमोट कंट्रोल उनके ही पास है और प्रधानमंत्री सरकार के प्रति कम पार्टी के प्रति अधिक जवाबदेह हैं।

वर्ष 2013 में राहुल गांधी के द्वारा अपनी ही सरकार के अध्यादेश को सार्वजनिक तौर पर फाड़ा जाना इसका सबसे निर्लज्ज उदाहरण था। योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने खुद इस वाकये के बारे में अपनी किताब ‘बेकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स’ में लिखा है कि मनमोहन सिंह तब इस घटना से इतने आहत हुए थे कि उन्होने इस्तीफा देने तक का मन बना लिया था। क्या ये राहुल गांधी द्वारा मनमोहन सिंह और उनकी सरकार को नीचा दिखाने का कृत्य नहीं था? और मीडिया भला इसे और कैसे लेती? लेकिन ये सिर्फ एक उदाहरण था।

मनमोहन सिंह की दिक्कतें प्रधानमंत्री पद संभालते ही शुरू हो गई थीं। उनके कार्यालय के सीनियर ऑफिसर्स और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों की निष्ठा सिंह से कहीं ज़्यादा सोनिया गांधी के प्रति थी। प्रधानमंत्री कार्यालय में सोनिया गांधी की दख़लंदाज़ी इस हद तक थी कि 2009 में सत्ता में वापसी के बाद उन्होंने मनमोहन सिंह से बिना पूछे ही प्रणब मुखर्जी को वित्त मंत्री का पद ऑफ़र कर दिया था जबकि वह ख़ुद सीवी रंगराजन को वित्त मंत्री बनाना चाहते थे।

मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रह चुके संजय बारू अपनी किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में लिखते हैं कि मनमोहन सिंह, एन.एन वोहरा को अपना प्रधान सचिव बनाना चाहते थे, लेकिन सोनिया गांधी के दख़ल के बाद टी.के.ए नायर को प्रधान सचिव बनाया गया। संयुक्त सचिव रहे पुलक चटर्जी को भी सोनिया गांधी के कहने पर ही प्रधानमंत्री कार्यालय में नियुक्ति दी गई और वो मनमोहन सिंह की जगह रोज़ाना सोनिया गांधी को रिपोर्ट करते थे, साथ ही उनसे दिशानिर्देश भी लेते थे।

मनमोहन सिंह के लिए खड़े भी नहीं होते थे उनके मंत्री

सिर्फ गांधी परिवार ही नहीं, ए.के एंटनी और अर्जुन सिंह जैसे नेता भी मनमोहन सिंह को ख़ास तवज्जो नहीं देते थे, जबकि वो उनके ही मंत्रिमंडल के सदस्य थे। बारू लिखते हैं कि अर्जुन सिंह तो मंत्रिमंडल की बैठकों या दूसरे सार्वजनिक अवसरों पर मनमोहन सिंह के आने पर खड़े तक नहीं होते थे। संजय बारू लिखते हैं कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री ज़रूर बनाया था लेकिन उन्हें असली सत्ता कभी नहीं सौपी थी। बारू के अनुसार, सरकार पर सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली नैशनल एडवाइजरी काउंसिल यानी NAC का सीधा नियंत्रण था। मनरेगा, सूचना का अधिकार और सरकार के अन्य बेहतर कामों का श्रेय तो सोनिया गांधी लेती रहीं लेकिन ख़राब फैसलों और कार्यों का ठीकरा मनमोहन सिंह और उनकी सरकार पर फूटा।

जब न्यूक्लियर डील के लिए अड़े मनमोहन सिंह

संजय बारू मानते हैं कि मनमोहन सिंह से ग़लतियाँ तभी हुईं जब सोनिया गांधी और कांग्रेस ने उनके फ़ैसलों में ज़रूरत से ज़्यादा दख़ल देना शुरू कर दिया। जैसे मनमोहन सिंह ए राजा और टीआर बालू को अपने मंत्रिमंडल में नहीं लेना चाहते थे लेकिन पार्टी के दबाव में उन्हें दोनों को मंत्री बनाना पड़ा। कुछ फैसले ऐसे ज़रूर थे, जिनपर बतौर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अपनी छाप थी। जब अमेरिका और भारत न्यूक्लियर डील पर हस्ताक्षर करने जा रहे थे, तब सिर्फ CPIM और CPM जैसी पार्टियों ने ही इसका विरोध नहीं किया, बल्कि यूपीए अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी भी चाहती थीं कि इस समझौते को लेकर मनमोहन सिंह अपना मन बदल लें। हालांकि, मनमोहन सिंह किसी दबाव के आगे नहीं झुके, यहां तक कि कांग्रेस की एक बैठक में उन्होंने अपने इस्तीफे तक की धमकी दे डाली थी। नतीजा ये रहा कि लेफ्ट के समर्थन वापस लेने के बावजूद मनमोहन सिंह ना सिर्फ यह समझौता किया बल्कि सरकार बचाने में भी कामयाब रहे।

10 वर्षों के कार्यकाल में ये शायद ये पहला ऐसा बड़ा फैसला था, जिस पर उनकी अपनी छाप थी। परिणामस्वरूप आज भारत में 23 सक्रिय परमाणु ऊर्जा सयंत्र हैं, जिसने कुल 7,425 मेगावाट बिजली पैदा होती है। 2031 तक इसे क़रीब ढाई गुना तक बढ़ाने का लक्ष्य है। ज़ाहिर है आज अगर भारत न्यूक्लियर एनर्जी पैदा करने के मामले में दुनिया का 6 वां सबसे बड़ा देश है तो इसका श्रेय मनमोहन सिंह को भी जाता है, उनके उस इकलौते फैसले को, जो उन्होने किसी ‘रिमोट’ के ‘कंट्रोल’ में आए बिना लिया था। यकीनन इतिहास पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का कहीं ज्यादा उदारता पूर्वक मूल्यांकन करेगा। शायद वर्तमान भी करता-अगर कांग्रेसियों (गांधी परिवार) ने उन्हें नीचा दिखाने का हर मुमकिन प्रयास न किया होता। अफ़सोस यह कि यह प्रयास उनकी अंतिम यात्रा के दिन भी जारी रहा।

स्रोत: मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस, संजय बारू, यूपीए, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, अमेरिका, न्यूक्लियर डील, Manmohan Singh, Sonia Gandhi, Rahul Gandhi, Congress, Sanjay Baru, UPA, Montek Singh Ahluwalia, America, Nuclear Deal,
Tags: AmericaCongressManmohan SinghMontek Singh AhluwaliaNuclear DealRahul GandhiSanjay Barusonia gandhiUPAअमेरिकाकांग्रेसन्यूक्लियर डीलमनमोहन सिंहमोंटेक सिंह अहलूवालियायूपीएराहुल गाँधीसंजय बारूसोनिया गाँधी
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

मनमोहन सिंह के निधन पर कांग्रेस की राजनीति! प्रणब मुखर्जी की बेटी ने पिता का ‘अपमान’ करने पर कांग्रेस को घेरा

अगली पोस्ट

‘संभल में आएगा सतयुग’: विवादित जामा मस्जिद के सामने पुलिस पोस्ट का हुआ भूमि पूजन, ‘सत्यव्रत चौकी’ होगा नाम

संबंधित पोस्ट

ऑपरेशन सिंदूर 2:0
मत

दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

21 November 2025

पाकिस्तान एक आतंकी मुल्क है और इसमें शायद ही किसी को कोई संशय हो, ख़ुद पाकिस्तान के मित्र भी न सिर्फ इसे अच्छी तरह जानते...

शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं
चर्चित

कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

21 November 2025

कांग्रेस के नेता देश ही नहीं विदेशों में भी जाकर लोकतंत्र बचाने की दुहाई देते रहते हैं। लेकिन जब बारी आंतरिक लोकतंत्र की आती है...

सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
चर्चित

विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

20 November 2025

20 नवंबर को एक ऐतिहासिक जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04

How Javelin Missiles Will Enhance India’s Anti-Tank Dominance?

00:06:47

This is How China Spread Disinformation After Operation Sindoor

00:06:27

How DRDO’s New Laser System Can Destroy Drones at 5 KM Range?

00:04:31
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited