देश भर में पनपे कोचिंग माफिया विद्यार्थियों के सपनों को चकनाचूर तो कर रही हैं और उन्हें आर्थिक तौर पर पंगु भी बना रहे हैं। ऑनलाइन कोचिंग देने वाली कंपनी Byju’s के बाद अब IIT की JEE और मेडकिल की NEET परीक्षा की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर FIITJEE (फोरम फॉर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन) ने भी अपना कारोबार समेट कर विद्यार्थियों को अधर में लटका दिया है। दरअसल, नोएडा सेक्टर 62 केंद्र के संचालन प्रमुख संजीव झा ने सेंटर को बंद करने से पहले देर रात छात्रों और अभिभावकों को मैसेज भेजा कि सेंटर बंद होने जा रहा है। इस मामले में नोएडा पुलिस ने फिटजी नोएडा केंद्र के 12 अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और विश्वासघात का मामला दर्ज किया है। इनमें ‘फिटजी’ के मालिक डीके गोयल, मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) राजीव बब्बर, मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) मनीष आनंद, ग्रेटर नोएडा शाखा के प्रमुख रमेश बटलेश को नामजद किया गया है।
लाखों रुपए की एडवांस फीस दे चुके करीब 150 छात्रों के अभिभावकों ने पुलिस को बताया था कि निजी कोचिंग संस्थान ने सेक्टर 62 स्थित केंद्र को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दिया है। इसी तरह की शिकायत गाजियाबाद में भी दर्ज कराई गई है। इसमें FIITJEE पर संचालन बंद करने और छात्रों की शैक्षणिक तैयारी में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शिकायत में यह भी बताया गया कि गाजियाबाद केंद्र के शिक्षकों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। हाल ही में FIITJEE वित्तीय संकट और लाइसेंसिंग तथा अग्नि सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के लिए इसकी सेंटरों के खिलाफ प्रशासनिक और नागरिक कार्रवाई चल रही है। FIITJEE के उत्तर भारत में कम से कम 8 कोचिंग सेंटर अचानक बंद हो गए। इस मामले में पटना, भोपाल सहित कई शहरों में एफआईआर दर्ज कराई गई है। इस तरह पटना, कानपुर, इंदौर, भोपाल, नागपुर, जयपुर, नोएडा सहित दर्जनों सेंटर से फिटजी ने छात्रों से हजारों करोड़ रुपए लिए और रातों-रात इन सेंटरों को बंद कर दिया।
42 करोड़ के गबन का आरोप
फिटजी ने कुछ समय पहले विजग सेंटर के विद्यार्थियों को कहा था कि वे सेंटर बंद कर रहे हैं। इसलिए वे विद्यार्थियों को इंदौर शिफ्ट कर रहे हैं। विद्यार्थी जैसे ही इंदौर शिफ्ट हुए, इसके कुछ दिन बाद इंदौर सेंटर को भी बंद कर दिया गया। इस मामले में जब बंद हुए सेंटरों के छात्रों ने सेंटर हेड से फीस वापस करने की माँग की तो वे इसका जवाब नहीं दिए। कुछ लोगों ने इसके लिए दिल्ली के मैनेजमेंट से बात करने को कहा। बाद में कोचिंग सेंटर के अधिकांश अधिकारियों ने फोन उठाना ही बंद कर दिया। इस तरह से छात्रों को बेहसहारा उनके हाल पर छोड़ दिया गया। इन छात्रों में से अधिकांश मिडिल क्लास फैमिली से हैं, जिन्होंने थोड़ी-थोड़ी रकम जोड़कर अपने बच्चों को कोचिंग कराने के फीस दिए थे। कुछ लोगों ने अपनी जमीनें और घर तक गिरवी रखे थे। कुछ अभिभावकों ने लोन लेकर फीस दिया था।
FIITJEE के चेयरपर्सन पर 42 करोड़ रुपए के गबन के गंभीर आरोप लग रहे हैं। ये आरोप और कोई नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर वो लोग लगा रहे हैं, जो उसके करीबी रहे हैं। जांच पड़ताल में पुलिस को कोचिंग के तीन बैंक खातों के बारे में पता चला। यह खाते मुंबई स्थित एक्सिस बैंक शाखा में खोले गए हैं। फिलहाल बैंक अफसरों से पत्राचार करते हुए तीनों ही खातों को फ्रीज करा दिया गया है। इनमें कितनी रकम जमा है, इसका पता फिलहाल नहीं चल सका है। ऐसे में करोड़ों रुपए लेने के बाद ये कोचिंग सेंटर उनके फीस वापस नहीं कर रहे हैं। इसके साथ फिटजी के 2 ग्लोबल सकूल, 6 वर्ल्ड स्कूल और 49 स्कूल हैं।
ऐसी घटना बायजू के साथ भी हुई थी। साल 2022 में बायजू का मूल्यांकन 22 बिलियन डॉलर (आज के हिसाब से लगभग 1.90 लाख करोड़ रुपए) थी। बाजयू ने अमेरिकी ऋणदाताओं को बकाये का भुगतान नहीं किया। इसके कारण उनसे कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। बायजू ने अपने कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन भी दिया था। इसके पीछे कंपनी की खराब वित्तीय स्थिति बताया था। फिटजी और बायजू दोनों ही संकट एड-टेक उद्योग के भीतर चल रहे संघर्षों को उजागर करते हैं, जहाँ छात्र और कर्मचारी समान रूप से कुप्रबंधन और वित्तीय अस्थिरता से जूझ रहे हैं।
वित्तीय संकट, कम इनपुट लागत, अवैध पंजीकरण और घोटाले इन कंपनियों के बर्बादी के कारण हैं। दरअसल, इस तरह के कोचिंग सेंटरों में बड़े पैमाने पर वित्तीय हेरफेर और घोटाले होते हैं। इसके बाद कंपनी खुद को वित्तीय संकट में दिखाकर दिवालिया के लिए चली जाती है। दरअसल, इन कोचिंग सेंटर की मूल कंपनी कोचिंग सेंटर के अलावा अन्य तरह के व्यवसायिक कारोबार भी करती है। FIITJEE एक वर्ल्ड स्कूल चलाने के साथ-साथ कई दर्जनों स्कूलों का संचालन करती है। कुछ अभिभावकों का कहना है कि कोचिंग सेंटरों के होने वाली आमदनी में हेरफेर करके उन पैसों को दूसरे व्यवसायों में लगाया गया और इन सेंटरों को नुकसान में दिखाया गया। यह सब कुछ एक कुचक्र की तरह है, जिसमें कंपनी के मालिक और मैनेजमेंट को अरबों रुपए बना लेते हैं, लेकिन विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद होने के कगार पर आ जाता है।
कोचिंग माफियाओं के ऐसे ही घोटाले
बायजू के मामले में भी इसी तरह के वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हैं। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अपनी जाँच में बायजू को धोखाधड़ी और वित्तीय हेरफेर में क्लिनचिट नहीं दी है। मंत्रालय ने कहा है कि कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एमसीए द्वारा शुरू की गई कार्यवाही अभी भी जारी है और इस मामले में इस समय कोई वित्तीय धोखाधड़ी से मुक्त करने जैसे अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए। बायजू भारत और विदेश की अदालतों के साथ-साथ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में भी कई मामलों में शामिल है। यह राइट्स इश्यू के ज़रिए 200 मिलियन डॉलर जुटाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ट्रिब्यूनल ने इसे किसी भी फंड का इस्तेमाल करने से रोक दिया है।
ऐसा ही एक घोटाला जयपुर के उत्कर्ष कोचिंग सेंटर का सामने आया था। उत्कर्ष कोचिंग के संचालक ने फिजिक्स वाला के साथ की शेयर डील की इसमें करोड़ों रुपए का घोटाला किया और टैक्स की चोरी की। 800 करोड़ रुपए से अधिक की इस डील में करोड़ों रुपए का नकद में लेन-देन किया गया। आयकर विभाग के हाथ लगे मेन डॉक्यूमेंट में करोड़ों रुपए का घोटाला होना साफ हो गया। इसके बाद आयकर विभाग ने उत्कर्ष कोचिंग के संचालक के 19 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनमें जोधपुर, जयपुर, प्रयागराज और इंदौर के ठिकाने शामिल हैं। छापेमारी में भारी मात्रा में नकदी और ज्वेलरी मिली थी, जिसकी कीमत का अनुमान लगाया जा रहा है।
पिछले साल नवंबर में छत्तीसगढ़ के रायपुर में कौटिल्य एकेडमी तो विद्यार्थियों से लाखों रुपए लेकर फरार हो गया था। इसके अभिभावकों ने कोचिंग के डायरेक्टर पवन टांडेश्वर और उनकी पत्नी रूबी मजूमदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। छात्रों ने आरोप लगाया था कि यूपीएससी की कोचिंग के नाम पर उनसे 18 लाख रुपए वसूलने के बाद पति-पत्नी फरार हो गए। हर एक छात्रों से लगभग 1 लाख रुपये फ़ीस के नाम पर लिए गए थे। टांडेश्वर ने कोचिंग को शिफ्ट करने के बाद सेंटर में ताला लगा दिया और फरार हो गया।
इस तरह देखा जाए तो कोचिंग सेंटरों द्वारा बड़े-बड़े दावे करके विद्यार्थियों को लुभाया जाता है। इसके लिए भ्रामक विज्ञापन का भी सहारा लिया जाता है, जिसमें बच्चे और उनके माता-पिता फँस जाते हैं। वे अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य को सँवारने के लिए खून-पसीने की कमाई को देते हैं, लेकिन FIITEE और कौटिल्य जैसे कोचिंग सेंटर उन्हें चूना लगा लेते हैं। जहाँ FIIJEE, उत्कर्ष और बायजू जैसे बड़े कोचिंग संस्थान टाइअप जैसे व्यवासायिक रास्तों को चूनते हुए कानून की कामी का लाभ उठाकर करोड़ों रुपए का घोटाला करते हैं, वहीं कौटिल्य जैसे संस्थान फीस लेने के बाद रातों-रात सेंटर बंद करके फरार हो जाते हैं। इस तरह के घोटालों को देखते हुए कोचिंग सेंटरों को विनियमित करने वाले निमायकों की माँग उठने लगी है।