TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

चमड़ी उधेड़ते बेंत… फिर भी हर बेत के साथ चिल्लाता ‘भारत माता की जय! – जब मात्र 15 साल की उम्र में पहली बार गिरफ्तार हुए थे चंद्रशेखर ‘आजाद’

हमारी लड़ाई आखरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है जीत या मौत-चंद्रशेखर आज़ाद

himanshumishra द्वारा himanshumishra
27 February 2025
in इतिहास, चर्चित
Chandrasekhar Azad

चंद्रशेखर आजाद और असहयोग आंदोलन (Image Source: X)

Share on FacebookShare on X

महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद का शुरुआती झुकाव महात्मा गांधी और उनके अहिंसक आंदोलन की ओर था। मात्र 15 वर्ष की उम्र में, जब उनके हमउम्र बच्चे खेलकूद और पढ़ाई में व्यस्त रहते थे, उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। उन्हें पूरा विश्वास था कि गांधीजी के नेतृत्व में देश जल्द ही स्वतंत्र हो जाएगा। इस उम्मीद और राष्ट्रभक्ति की भावना के साथ वे आंदोलन में कूद पड़े। लेकिन जब अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया और उनका नाम पूछा, तो उन्होंने बेखौफ होकर कहा— “मेरा नाम आज़ाद है, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर जेलखाना!” यह शब्द केवल जवाब नहीं थे, बल्कि उनके भीतर सुलग रही क्रांति की पहली चिंगारी थी।

लेकिन यह चिंगारी जल्द ही शोला बन गई। 1922 में जब चौरी-चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी ने बिना किसी से चर्चा किए अचानक असहयोग आंदोलन वापस ले लिया, तो युवा चंद्रशेखर आज़ाद स्तब्ध रह गए। उन्होंने अपनी आँखों के सामने देखा कि हजारों स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष अधूरा छोड़ दिया गया। उनके भीतर उबाल आ गया— क्या अंग्रेजों से आज़ादी केवल अहिंसा से संभव है? क्या संघर्ष किए बिना देश को स्वतंत्र कराया जा सकता है? यही वह क्षण था जब उनके विचारों में बदलाव आया। अब वे क्रांतिकारी आंदोलन की ओर मुड़ गए, जहाँ भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे वीरों के साथ मिलकर उन्होंने अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने की शपथ ली। यह उनकी असली क्रांतिकारी यात्रा की शुरुआत थी, जिसमें उन्होंने गुलामी को कभी स्वीकार नहीं किया और जीवन भर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते रहे।

संबंधितपोस्ट

आज तक ‘आज़ाद’ नहीं हो सकीं चंद्रशेखर आजाद की अस्थियां, 5 दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

क्या नेहरू ने चंद्रशेखर आज़ाद की मुखबिरी की थी? CID की गोपनीय फाइलों में छुपा वो राज़, जो आज भी उनकी शहादत की अनसुलझी गुत्थी बना हुआ है!

हिंदू देवी-देवताओं और महाकुंभ को अपशब्द कहने वाली महिला गिरफ्तार, खुद को बताती है अंबेडकर की बेटी

और लोड करें

चंद्रशेखर से चंद्रशेखर ‘आजाद’ तक का सफरनामा

मध्यप्रदेश के छोटे से गाँव भाबरा (अब चंद्रशेखर आज़ादनगर) में 23 जुलाई 1906 को जन्मे चंद्रशेखर का बचपन सामान्य नहीं था। उनके खेल भी साधारण नहीं थे। जहां आम बालक खिलौनों से खेलते थे, वहीं आज़ाद धनुष-बाण चलाने में निपुण हो रहे थे। भीलों के बीच रहते हुए उन्होंने निशानेबाजी की वह कला सीखी, जो आगे चलकर अंग्रेजों के लिए काल बन गई। लेकिन उनके भीतर कुछ और भी सुलग रहा था— एक ऐसी ज्वाला जो भारत की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने को आतुर थी। यह ज्वाला धीरे-धीरे धधक रही थी, लेकिन 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने इसे चिंगारी दे दी।

देशभर में मातम पसरा था, लेकिन यह मातम चंद्रशेखर के लिए विद्रोह की शुरुआत थी। अंग्रेजों की बर्बरता ने उनकी आत्मा को झकझोर कर रख दिया। अब उनके भीतर जो आग थी, वह दहकने लगी थी। फिर आया 1920— जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का शंखनाद किया। यही वह क्षण था, जब सुलगती चिंगारी एक धधकता ज्वालामुखी बन गई! मात्र 15 साल की उम्र में चंद्रशेखर पढ़ाई कर रहे थे अब क्रांति के रण में कूद पड़े।

वह सड़कों पर उतर आए, नारे बुलंद किए, अंग्रेजी हुकूमत को खुली चुनौती दी। लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें धरना देते हुए गिरफ्तार कर लिया। अब उन्हें पेश किया गया उस समय के कुख्यात मजिस्ट्रेट मि. खरेघाट के सामने, जो क्रांतिकारियों को कठोरतम सजा देने के लिए जाना जाता था। लेकिन यह कोई साधारण बालक नहीं था— यह था चंद्रशेखर आज़ाद!

मजिस्ट्रेट ने जब उसका नाम पूछा, तो जवाब मिला—
“मेरा नाम आज़ाद है!”
“पिता का नाम?”
“स्वाधीन!”
“घर कहां है?”
“मेरा घर जेलखाना है!”

अंग्रेज अधिकारी बौखला गए। एक 14 साल के बालक का ऐसा साहस? मजिस्ट्रेट ने तमतमाकर 15 कोड़ों की सजा सुना दी। अंग्रेज जल्लाद ने पूरी ताकत से चंद्रशेखर की नंगी पीठ पर कोड़े बरसाने शुरू किए। हर कोड़े के साथ उनकी चमड़ी उधड़ती गई, लेकिन उनके होंठों से सिर्फ “भारत माता की जय” और “महात्मा गांधी की जय” निकलता रहा।

जब कोड़े पूरे हो गए, तो जेलर ने नियम के अनुसार उनकी हथेली पर तीन आने रखे। लेकिन चंद्रशेखर ने वह सिक्के जेलर के मुँह पर दे मारे और बोले— “भारत की स्वतंत्रता बिकाऊ नहीं है!” और जिले से भागकर बाहर आ गए। जेल से लौट के आने पर बनारस के ज्ञानवापी मोहल्ले में उनका भव्य अभिनंदन हुआ। अब वह केवल चंद्रशेखर नहीं थे, बल्कि ‘चंद्रशेखर आज़ाद’ बन चुके थे।

इस घटना का जिक्र जवालाल नेहरू ने भी अपनी आत्मकथा ‘मेरे कहानी’ में भी किया है. जहां उन्होंने इसे कायदा तोड़ने वाले एक छोटे से लड़के की कहानी के तौर पर प्रेषित किया है –

“ऐसे ही कायदे (कानून) तोड़ने के लिये एक छोटे से लड़के को, जिसकी उम्र १४ या १५ साल की थी और जो अपने को आज़ाद कहता था, बेंत की सजा दी गयी। उसे नंगा किया गया और बेंत की टिकटी से बाँध दिया गया। बेत एक एक कर उस पर पड़ते और उसकी चमड़ी उधेड़ डालते पर वह हर बेत के साथ चिल्लाता ‘भारत माता की जय!’। वह लड़का तब तक यही नारा लगाता रहा, जब तक की वह बेहोश न हो गया। बाद में वही लड़का उत्तर भारत के क्रान्तिकारी कार्यों के दल का एक बड़ा नेता बना।”

कांग्रेस से मोहभंग और क्रांतिकारी पथ पर अंतिम संकल्प

लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने बिना किसी चर्चा के असहयोग आंदोलन वापस ले लिया, तो चंद्रशेखर आज़ाद का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने देखा कि जिन युवाओं ने अपनी जान दांव पर लगाई थी, उनकी कुर्बानी बेकार चली गई। अहिंसा का मार्ग अब उन्हें अधूरा और कमजोर लगने लगा। उन्हें समझ आ गया था कि आज़ादी की यह लड़ाई सिर्फ अहिंसा से नहीं जीती जा सकती— दुश्मन को उन्हीं की भाषा में जवाब देना होगा!

बनारस में रहते हुए, वे मन्मथनाथ गुप्त और प्रणवेश चटर्जी के संपर्क में आए और जल्द ही “हिन्दुस्तान प्रजातंत्र संघ” (HRA) का हिस्सा बन गए। अब उनका लक्ष्य एकदम साफ था— ब्रिटिश हुकूमत को हर हाल में उखाड़ फेंकना। गांधीजी के फैसले से जहां हजारों नवयुवकों का कांग्रेस से मोहभंग हुआ, वहीं आज़ाद ने इसे अपने क्रांतिकारी सफर की दिशा बदलने का संकेत समझा। जब 1924 में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल और योगेशचंद्र चटर्जी ने क्रांतिकारियों को संगठित कर “हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक संघ” की नींव रखी, तो आज़ाद भी अपने पूरे जुनून के साथ इसमें कूद पड़े।

लेकिन क्रांति के लिए संसाधन चाहिए थे। शुरुआत में क्रांतिकारियों ने धन जुटाने के लिए कुछ अमीर घरों में डकैतियां डालीं, लेकिन एक सख्त नियम बना कि किसी भी महिला को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। एक बार, जब एक महिला ने चंद्रशेखर आज़ाद की पिस्तौल छीन ली, तो अपने बलशाली शरीर के बावजूद उन्होंने उसे वापस लेने की कोशिश नहीं की। लेकिन जब हालात बिगड़ने लगे और पूरा गांव उन पर टूट पड़ा, तो राम प्रसाद बिस्मिल ने हस्तक्षेप किया, महिला से पिस्तौल वापस ली और क्रांतिकारियों को वहां से सुरक्षित निकाला। इस घटना के बाद, संगठन ने फैसला किया कि अब केवल अंग्रेजी सरकार के ठिकानों पर ही हमले किए जाएंगे।

1925 का काकोरी कांड इस क्रांतिकारी संघर्ष का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। 9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटकर क्रांतिकारियों ने दिखा दिया कि अब लड़ाई खुलेआम होगी। हालांकि, इस योजना का अशफाक उल्ला खान ने पहले ही विरोध किया था, क्योंकि उन्हें अंदेशा था कि यह सरकार को क्रांतिकारियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने का मौका देगा— और वही हुआ। अंग्रेजों ने पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन चंद्रशेखर आज़ाद को पकड़ नहीं पाए।

बाकी सभी शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। 17 दिसंबर 1927 को राजेंद्रनाथ लाहिड़ी और 19 दिसंबर 1927 को बाकी तीनों वीरों को फांसी दे दी गई। इन बलिदानों ने पूरे क्रांतिकारी आंदोलन को झकझोर कर रख दिया, लेकिन आज़ाद का संकल्प और मजबूत हो गया।

अपने सभी प्रिय साथियों को खोने के बावजूद, चंद्रशेखर आज़ाद ने पीछे हटने की बजाय अपनी लड़ाई को और भी तेज कर दिया। उन्होंने उत्तर भारत के सभी क्रांतिकारियों को संगठित किया और 8 सितंबर 1928 को दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में एक गुप्त सभा का आयोजन किया। यहीं पर उन्होंने भगत सिंह को संगठन का प्रचार प्रमुख बनाया और तय किया कि अब सभी क्रांतिकारी संगठनों को एकजुट होकर एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा।

कई घंटों की गहन चर्चा के बाद, “हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन” का नाम बदलकर “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” रखा गया। आज़ाद को इस संगठन का कमांडर-इन-चीफ बनाया गया। अब लक्ष्य पूरी तरह स्पष्ट था— “हमारी लड़ाई अंतिम सांस तक चलेगी, और यह खत्म होगी केवल जीत या मौत पर!”

 

 

 

 

स्रोत: चंद्रशेखर आजाद, चंद्रशेखर आजाद और असहयोग आंदोलन, चंदशेखर आजाद और महात्मा गाँधी, चंद्रशेकर आजाद पुण्यतिथि, Chandrasekhar Azad, Chandrasekhar Azad and the Non-Cooperation Movement, Chandrasekhar Azad and Mahatma Gandhi, Chandrasekhar Azad Punyatithi
Tags: Chandrasekhar AzadChandrasekhar Azad and Mahatma GandhiChandrasekhar Azad and the Non-Cooperation MovementChandrasekhar Azad Punyatithiचंदशेखर आजाद और महात्मा गाँधीचंद्रशेकर आजाद पुण्यतिथिचंद्रशेखर आज़ादचंद्रशेखर आजाद और असहयोग आंदोलन
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

46 साल बाद संभल के खग्गू सराय शिव मंदिर में हुआ जलाभिषेक; महाशिवरात्रि के अवसर पर लगा भक्तों का तांता

अगली पोस्ट

‘एकता के महायज्ञ से युग परिवर्तन की आहट’: महाकुंभ के समापन पर PM मोदी ने लिखा ब्लॉग, एकता का दिया ‘महामंत्र’

संबंधित पोस्ट

गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत
इतिहास

गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

22 October 2025

जून 2025 में सऊदी अरब ने आधिकारिक रूप से अपने विवादित कफाला प्रणाली को समाप्त करने की घोषणा की। यह एक ऐसा कदम था, जिसे...

जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?
इतिहास

जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

22 October 2025

दिवाली की अगली सुबह आए अख़बारों में जो ख़बर पहले पेज में सबसे प्रमुखता के साथ छपी है, उसके अनुसार दिल्ली देश का ही नहीं...

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प
इतिहास

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

22 October 2025

गोरखपुर के पावन मंच से जब योगी आदित्यनाथ ने यह कहा कि राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को सबसे बड़ा झटका दिया है, तो यह...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

00:06:22

Why India’s 800-km BrahMos Is a Nightmare for Its Adversaries

00:06:22

The Congress Party’s War on India’s Soldiers: A History of Betrayal and Fear

00:07:39

How Bursting Firecrackers on Deepavali Is an Ancient Hindu Tradition & Not a Foreign Import

00:09:12

This is How Malabar Gold Betrayed Indians and Preferred a Pakistani

00:07:16
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited