बॉम्बे हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति माधव जामदार की अध्यक्षता वाली पीठ ने पारिवारिक अदालत को निर्देश दिया कि वह क्रिकेटर युजवेंद्र चहल की आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भागीदारी को ध्यान में रखते हुए गुरुवार को उनकी तलाक याचिका पर निर्णय ले। आईपीएल 2025 की नीलामी में पंजाब किंग्स (PBKS) ने लेग स्पिनर चहल को 18 करोड़ रुपये में खरीदा था। अदालत ने यह भी गौर किया कि चहल और धनश्री वर्मा पिछले ढाई वर्षों से अलग रह रहे थे और मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान गुजारा भत्ता से संबंधित सहमति की शर्तों का पूरी तरह पालन किया गया था।
गौरतलब है कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी(2) के तहत, यदि कोई दंपति आपसी सहमति से तलाक चाहता है और एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग रह रहा है, तो तलाक याचिका दायर करने के बाद छह महीने की अनिवार्य कूलिंग-ऑफ अवधि निर्धारित होती है। इस अवधि का उद्देश्य यह देखना होता है कि क्या जोड़े के बीच सुलह की कोई संभावना है। हालांकि, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि यदि अदालत को लगता है कि पति-पत्नी के पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं है, तो वह इस छह महीने की अवधि को माफ कर सकती है।
युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा ने 2020 में सगाई की थी और उसी वर्ष दिसंबर में गुरुग्राम में एक निजी समारोह में विवाह किया था। 28 वर्षीय धनश्री अपने फ्यूजन डांस परफॉर्मेंस के लिए प्रसिद्ध हैं और सोशल मीडिया पर उनके डांस वीडियो काफी लोकप्रिय हैं। इसी बीच, हाल ही में चहल को चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल के दौरान सोशल मीडिया स्टार आरजे महवश के साथ दर्शकों के बीच बैठे हुए देखा गया। इससे पहले भी दोनों को कई मौकों पर एक साथ देखा गया था। पिछले साल दिसंबर में, क्रिसमस सेलिब्रेशन के दौरान क्रिकेटर और आरजे महवश की एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिससे दोनों के बीच करीबी संबंधों को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं।
कितना मिलेगा गुज़ारा भत्ता?
पारिवारिक अदालत ने जब कूलिंग-ऑफ अवधि को खत्म करने की मांग वाली याचिका खारिज की थी तो उसमें एक अहम वजह चहल द्वारा पूरा भुगतान ना किया जाना बताया था। पारिवारिक अदालत ने तब कहा था कि चहल को धनश्री को ₹4.75 करोड़ का भुगतान करना था जिसमें से केवल ₹2.37 करोड़ का भुगतान किया गया था। हालांकि, इससे पहले सोशल मीडिया पर अफवाहें उड़ी थीं कि चहल, धनश्री को गुज़ारा भत्ता के तौर पर ₹60 करोड़ का भुगतान करेंगे। लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद यह स्पष्ट की समझौते की राशि ₹60 करोड़ ना होकर ₹4.75 करोड़ ही है।