जेएनयू एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में है। ऐसा लगता है कि जब तक यह विश्वविद्यालय सुर्खियों में नहीं रहता तब तक इसे चैन नहीं मिलता। जेएनयू कैंपस में कल एक बार फिर हिंसा का नजारा देखने को मिला जब नकाबपोश गुंडों के एक समूह ने विश्वविद्यालय परिसर में दंगा भड़का दिया। जैसे ही हिंसा की खबरें आना शुरू हुईं, वैसे पूरे वामपंथी लिबरल गैंग ने एबीवीपी को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मोर्चा खोल दिया। हालांकि, जेएनयू के परिसर में क्या हुआ, अगर इसका विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि विश्वविद्यालय के परिसर के अंदर हुई हिंसा में वामपंथी गुटों के स्पष्ट निशान हैं, लेकिन दोष एबीवीपी पर शिफ्ट करने का प्रयास किया गया। तीन स्पष्ट कारण यह साबित करते हैं कि JNU में कैसे हिंसा का तांडव किया गया और फिर एबीवीपी को कैसे गलत तरीके से फंसाया गया।
1.रजिस्ट्रेशन बॉयकॉट: हिंसा की शुरुआत
जब यह सभी लिबरल गैंग और पत्रकार गण हिंसा के बाद ही यह साबित करने लग गए थे कि नकाबपोश हमलावर AVBP के थे तभी जेएनयू एड्मिनिसट्रेशन ने एक आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया। इस नोट के अनुसार “लगभग 4.30 बजे, के करीब छात्रों का एक समूह, जो रजिस्ट्रेशन के खिलाफ अभियान चला रहे है , वे एडमिन ब्लॉकों के सामने पहुंच गए और वहाँ से छात्रावास पहुंच गए।” नोट में कहा गया है कि पंजीकरण के लिए आने वाले छात्रों को इस समूह द्वारा पीटा गया था। यह रजिस्ट्रेशन बॉयकॉट लेफ्ट शासित JNUSU द्वारा शुरू किया गया था। इसलिए यह स्पष्ट है कि ये वामपंथी ही थे जिन्होंने हिंसा की शुरुआत की थी और कारण रजिस्ट्रेशन बॉयकॉट था।
2.एबीवीपी के कार्यकर्ताओं का चोटिल होना
घायल छात्रों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बयानों से पता चलता है कि नकाबपोश गुंडों ने चुनिंदा एबीवीपी कार्यकर्ताओं को कैसे निशाना बनाया। घायल छात्रों में से एक ने खुलासा किया है कि कैसे वामपंथी गुंडों ने छात्रों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं की लाठी, पत्थर और यहां तक कि लोहे की रॉड से पिटाई की। इनमें से एक छात्र ने यह भी बताया कि वामपंथी गुट के ये गुंडे भड़के हुए थे और यहां तक कि उन्होंने बाहरी लोगों को हड़काया भी था। छात्रों ने बताया कि जेएनयू के पेरियार हॉस्टल में 100-200 वामपंथी गुंडों की भीड़ कैसे घुस गई। वे हॉस्टल के कमरों में घुस गए, जहां उन्होंने छात्रों की पिटाई की। हिंसा में उसके हाथ में फ्रैक्चर सहित कई चोटें लगी थीं। ड्यूटी पर मौजूद जेएनयू गार्ड्स ने भी यह खुलासा किया है कि किस तरह से विश्वविद्यालय में वामपंथी गुट ने उनके खिलाफ भी हिंसा किया। एबीवीपी के खिलाफ यह हिंसा ऐसी थी कि 25 छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि 11 लापता हैं।
https://twitter.com/Abhina_Prakash/status/1213933837752905729?s=20
— Payal Bhayana 🇮🇳 (@payalbhayana) January 5, 2020
Listen to what Valentina was made to undergo by the leftist goons in JNU.
the protest against fee hike is now a full blown naxal led mayhem in JNU where they want Kangaroo Court to decide evrything#leftattacksJNU pic.twitter.com/Ipd4jh4zRR— Sandeep Mahapatra (@sdeepmahapatra) January 5, 2020
Statement of Durgesh Kumar (President, ABVP JNU) on the attack. ABVP rightly blames the Left.
If you notice, the ABVP narrative on what led to the violence on campus is consistent, where as what you see on the other side is a lot of rhetoric and theatrics.https://t.co/zoLrUBT6ax— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) January 5, 2020
Another account but absolutely consistent with what others have said so far… Communists are targeting students with differing political affiliations and obstructing registration process… Compare this with theatrics of Left leaders who have queued up at JNU! #LeftAttacksJNU pic.twitter.com/5ydc6lvZvo
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) January 5, 2020
Listen to this account given by security guards town ABVP activists which discribes lefts attack on ABVP activist in Periyar hostel.
But Left’s media ecosystem is omitting the facts and running with the red fiction!#LeftAttacksJNU pic.twitter.com/92PAiXmKnC
— Eshaan | ईशान 🇮🇳 (@EshaanSG) January 5, 2020
3.नकली स्क्रीनशॉट और एबीवीपी पर झूठे आरोप
जैसे ही जेएनयू में हिंसा की खबरें आई, अफवाह फैलाने वालों ने अपने कल्पनाशील और “असत्यापित” आरोपों के साथ ABVP को दोषी बनया जाने लगा। बाद में, बरखा दत्त सहित कथित पत्रकारों ने हिंसा में एबीवीपी की भूमिका साबित करने के लिए व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट भी साझा किए। यहीं पर इन वामपंथी गुंडों की पोल खुल गयी।
दो तरह से व्हाट्सअप ग्रुप के स्क्रीनशॉट हैं- “Unity against Left” और “Left Terror down down”। दिलचस्प बात यह है कि बरखा दत्त ने ट्विटर पर एक “Unity against Left” ग्रुप का स्क्रीनशॉट शेयर किया, हालांकि जिस नंबर पर यह भड़काऊ मैसेज डाला गया वह INC क्राउडफंडिंग का है। वहीं दूसरा ग्रुप, “‘Left Terror down down'” एबीबीपी को गलत तरीके से फ्रेम करने का एक और घटिया प्रयास था। समूह चैट के स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि समूह का नाम कई बार बदला गया है। समूह का मूल नाम “Sanghi goons moordabad” था। इसका नाम बदलकर “ABVP chee chee” कर दिया गया और आखिरकार हताश वामपंथियों ने ABVP को फ्रेम करने के लिए एक बिल्कुल नए नाम के साथ एक घटिया कोशिश की।
Aap Chronology Samajhiye
1. Abdul Kabeer changed group name to 'Sanghi Goons Moordabad'
2. Sajjad Ansari changed group name to 'ABVP Chee Chee'
3. Ubaid changed group name to 'Left Terror Down Down'
(Hid half contact so that Twitter doesn't suspend for posting contacts) https://t.co/7CjmPQFZs6 pic.twitter.com/fcJbmJepRY
— Ankur Singh (Modi Ka Parivar) (@iAnkurSingh) January 5, 2020
https://twitter.com/Anshulkanwar3/status/1213868803114713088?s=20
Ye dekho Bhai kaise group Ka naam badal Kar rumor failate ja rahe hai pic.twitter.com/VOVei895Mn
— karan🇮🇳 (@karanboss11) January 5, 2020
इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि कल रात जेएनयू में जो उग्र हिंसा हुई उसमें वामपंथी तौर-तरीकों से पहले हमले किए गए और फिर हिंसा के लिए दोष को ABVP पर मढ़ने के लिए victim card का सहारा लिया गया।