आतंकवाद काफी वर्षों से संसार के लिए मुसीबत का पर्याय बनी हुई है, और भारत इससे अछूता नहीं है। परंतु अब उसे एक नए प्रकार के आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है, जिसका नाम है कोरोना जिहाद। इसमें आतंकी वो सब कुछ जानबूझकर करता है जिसके लिए विश्व भर के चिकित्सकों ने मनाही जारी की है, और इससे अपने आसपास के लोगों के लिए भी वो खतरा बढ़ाते हैं। चाहे डॉक्टर हो, स्वास्थ्य चिकित्सक, या फिर पुलिसकर्मी, ये हर उस व्यक्ति को अपना निशाना बनाते हैं जो वुहान वायरस जैसी महामारी के चलते लोगों को घरों में रहने और भीड़ न इकट्ठा करने के लिए समझा रहे हैं।
यूं तो कोरोना जिहाद को कई लोग तबलीगी जमात के खतरनाक मरकज़ सम्मेलन से जोड़कर देख रहे हैं, परंतु इसकी शुरुआत तो बहुत पहले से हो गयी थी। जब होली के आसपास भारत में वुहान वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी होने लगी, तो उस दौरान खबरें आने लगी कि कर्नाटक [जहां केरल के बाद भारत का पहला केस पाया गया था] में कुछ लड़के पुलिस वालों से हाथापाई करने पर उतर आए, क्योंकि वे विदेश से लौटे थे और आवश्यक टेस्ट कराने से मना कर रहे थे। इन लड़कों का मानना था कि उनका मजहब उन्हें टेस्ट कराने की इजाज़त नहीं देता।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकती। जब स्थिति की गंभीरता को समझते हुए देश के कई हिस्सों में भीड़ के जमावड़े पर रोक लगाई जाने लगी। कई धार्मिक संस्थाओं ने स्वयं ही बड़े बड़े जलसो और समारोह स्थगित करने लगे। परंतु कट्टरपंथियों को इससे क्या? उन्हें लगा कि ये सारी व्यवस्था उनके मजहब को समाप्त करने के लिए की जा रही है। शायद यही कारण है कि शाहीन बाग में लाख अनुरोध के बाद भी अराजकतावादी अड़े रहे, और जब जनता कर्फ़्यू के एक दिन बाद इन्हें खदेड़ा गया, तो उस इलाके में भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई।
परंतु इतने से भी उनका मन नहीं भरा। टिक टॉक एप्प पर समुदाय विशेष के लोग तो ऐसे वीडियो बनाने लगे, मानो हर मर्ज का इलाज उनके धर्म में ही है। यह वीडियो उसी समय वायरल होने लगी, जब ये साफ हो चुका था कि देश राष्ट्रव्यापी lockdown की ओर बढ़ रहा है।
परंतु पिछले कुछ दिनों में जो सामने आयां है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि इन कट्टरपंथियों ने कैसे वुहान वायरस को एक शस्त्र की तरह प्रयोग में लाकर भारत के विरुद्ध प्रयोग में लाना शुरू कर दिया। जैसे ही दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र के मरकज़ भवन से पकड़े गए लोगों को quarantine सेंटर भेजा गया, तो इन लोगों द्वारा सड़कों पर, सुरक्षाकर्मियों पर और यहां तक कि quarantine सेंटर में स्थित स्वस्थ्य कर्मचारियों पर थूके जाने की खबरें सामने आने लगी।
Occupants were unruly since morning&made unreasonable demand for food items. They misbehaved&abused staff at Quarantine Centre.Also they started spitting all over&on persons working/attending them incl doctors.They also started roaming around hostel building:CPRO Northern Railway https://t.co/mKLP1UQgJg
— ANI (@ANI) April 1, 2020
परन्तु यह तो कुछ भी नहीं है। पिछले कुछ दिनों से जहां-जहां पर तबलीगी जमात के सदस्यों के छुपाए जाने का शक भर भी है, वहां पर अगर पुलिस जाती है या कोई स्वास्थ्य कर्मचारी भी जाता है, तो उन पर जानलेवा हमला किया जाता है। उदाहरण के लिए राजस्थान को ही देख लीजिये। अजमेर से कुछ दूरी पर स्थित सरवर जिले में ख्वाजा फख़रुद्दीन चिश्टी की दरगाह है, जहां हर वर्ष कई अनुयायी उर्स मनाने आते हैं। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण बाहर निकलने पर सख्त मनाही थी। इसके बावजूद कई लोग दरगाह पर उर्स के लिए जमा हुए।
जब पुलिस को पता चला, तो वे घटनास्थल पर पहुंच उन लोगों को समझाने का प्रयास करने लगे। पर उल्टे उन्हीं पर जिहादियों ने हमला बोल दिया। पुलिस को अतिरिक्त सुरक्षाबलों की व्यवस्था करनी पड़ी और अंत में उन्होंने दरगाह के कट्टरपंथियों पर नियंत्रण पाकर ही दम लिया। करीब 5 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि 35 अन्य दंगाइयों को चिन्हित किया गया है।
ऐसी घटनाएं सिद्ध करती है कि कैसे तुष्टीकरण की राजनीति के कारण ऐसे असामाजिक तत्वों को इतना बढ़ावा मिला है, कि वे सुरक्षा व्यवस्था तक को ताक पर रखने की हिमाकत रखते हैं। अभी हाल ही में निज़ामुद्दीन क्षेत्र के मरकज़ भवन से सैकड़ों लोग पकड़े गए हैं, जिन्हें वुहान वायरस से संक्रमित पाया गया है, और जिनके कारण देश में वुहान वायरस के मामलों में एक अप्रत्याशित उछाल आया है।
इतना ही नहीं, कर्नाटक में वुहान वायरस के चक्कर में जांच पड़ताल के लिए पहुंचे आशा स्वस्थ्य कर्मचारियों पर एक हिंसक भीड़ ने हमला कर दिया। जान बचाकर भागे कर्मचारियों में से एक ने बताया की ये हमला एक मस्जिद से आए निर्देश के अनुसार किया गया था.
#Breaking | Bengaluru: Locals attack ASHA workers during awareness campaign.
Details by TIMES NOW's Deepak. pic.twitter.com/Sjw1nLCTOa
— TIMES NOW (@TimesNow) April 2, 2020
बिहार के मधुबनी में भी जब पुलिस तबलीगी जमात के सदस्यों को ढूंढने के लिए दौरा करने पहुंची, तो एक इलाके में उन पर गोलियां बरसाई जाने लगी। वहीं गुजरात के अहमदाबाद शहर में जमात के सदस्यों को पकड़ने पहुंचे पुलिस कर्मचारियों पर पत्थरबाजी भी हुई, जिससे एक पुलिस कर्मचारी घायल हो गया।
#Breaking 1st on TIMES NOW | A search party was fired upon for searching Markaz attendees in Madhubani.
TIMES NOW's Shyam with details. | #CoronaHarega pic.twitter.com/6Ue7hPzOCS
— TIMES NOW (@TimesNow) April 1, 2020
सच कहें तो कट्टरपंथियों ने इस प्रकरण से सिद्ध कर दिया कि उनके लिए मानवता एक मज़ाक से ज़्यादा कुछ नहीं है और यदि आवश्यकता पड़े, तो वे पूरे देश को खतरे में डालने को भी तैयार है। कोरोना जिहाद से ये स्पष्ट सिद्ध होता है कि इन कट्टरपंथियों को यदि समय रहते नहीं रोका गया, तो भारत का इटली से भी बुरा हाल हो सकता है।