2019 में, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम की स्थिति की समीक्षा करने का वादा किया था। कांग्रेस के अफस्पा को खत्म करने का वादा हमारे सशस्त्र बलों के साथ धोखा और राष्ट्र सुरक्षा के साथ एक तरह से समझौता था। अब मोदी सरकार पूर्वोत्तर में AFSPA की स्थिति की समीक्षा कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागालैंड, असम और मणिपुर में AFSPA के तहत लगाए गए बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की कमी की घोषणा की है। पर, यहां एक अंतर है कि भाजपा और कांग्रेस AFSPA को कैसे देखते हैं? और इसके आसपास के मुद्दों को कैसे हल करना चाहते हैं?
कांग्रेस राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए AFSPA से नफरत करने का दिखावा करती है। तथ्य यह है कि केंद्र और राज्यों में इसके शासन के तहत, AFSPA को समय-समय पर बढ़ाया गया था। इसका ही नहीं इसके कवरेज क्षेत्र को भी बढ़ाया गया था, जिसे पार्टी द्वारा अनुमोदित किया गया था। दूसरी ओर, भाजपा आंतरिक अशांति से निपटने के लिए AFSPA को जरूरी मानती है। फिर भी, भगवा पार्टी यह मानती है कि AFSPA को अपने आप में एक अनिवार्य समाधान के रूप में नहीं देखा जा सकता है। यह हमारी सेनाओं के लिए सफलता प्राप्त करने का एक साधन है। पर यह अपने आप में किसी समस्या का समाधान नहीं है।
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पीएम मोदी ने किया बड़ा वादा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में शांति और स्थिरता के एक नए युग की शुरुआत हुई है जो पहले पूर्वोत्तर के लिए अज्ञात था। इस क्षेत्र में हिंसा में भारी गिरावट आई है, जबकि विभिन्न आतंकवादी संगठनों को बेअसर कर मुख्यधारा में लाया जा रहा है। इसीलिए अब क्षेत्र में शांति लाये जाने के कारण AFSPA धीरे-धीरे प्रवर्तक से बाधक बनता जा रहा है। यह बात पीएम मोदी से बेहतर कोई नहीं जानता। ऐसे में गुरुवार को जब असम में पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों से एक बड़ा वादा किया, तब उन्होंने यहां शांति, एकता और विकास रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले आठ वर्षों में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार होने के कारण क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को वापस लिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “क्षेत्र में हिंसा में 75 प्रतिशत की कमी के साथ कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। AFSPA को पहले त्रिपुरा और फिर मेघालय में निरस्त किया गया। और अब पिछले आठ वर्षों में स्थिति पर उचित नियंत्रण के कारण, AFSPA को राज्य के अधिकांश हिस्सों से हटा दिया गया है। हम इसे बाकी हिस्सों से भी वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं। यह अधिनियम नागालैंड और मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में लागू है और हम इसे पूरी तरह से रद्द करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं।”
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विकास के लिए पूर्वोत्तर का रास्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्बी आंगलोंग में पशु चिकित्सा विज्ञान और कृषि कॉलेजों तथा एक मॉडल सरकारी कॉलेज की नींव रखी तथा असम में 2,950 जल निकायों को फिर से जीवंत करने के लिए 1,150 करोड़ रुपये की अमृत सरोवर परियोजना भी शुरू की। डिब्रूगढ़ में उन्होंने बाद में सात नए कैंसर देखभाल अस्पतालों का उद्घाटन किया, साथ ही सात और के लिए आधारशिला रखी गई। हाल ही में, प्रधानमंत्री ने इम्फाल में 4,800 करोड़ से अधिक की 22 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने दो विकास पहल शुरू करने के अलावा अगरतला में महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे पर नए एकीकृत टर्मिनल भवन का भी उद्घाटन किया।
पीएम मोदी पूर्वोत्तर में प्रमुख सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कई हजार करोड़ रुपये समर्पित कर रहे हैं। सरकार की योजना पूर्वोत्तर में मजबूत परिवहन बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से सहज तरीके से जोड़ने की है। यह क्षेत्र की पर्यटन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के अनुरूप है कि पूर्वोत्तर को अब एक अलग क्षेत्र के रूप में नहीं माना जाता है।
पीएम ने बदला पूर्वोत्तर का कायाकल्प
बताते चलें कि AFSPA हटाने के बारे में सभी निर्णयों के पीछे पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास की सुविधा के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए वर्षों के आधारभूत कार्य हैं। मेघालय के शिलांग को छोड़कर सभी राज्यों की राजधानियों को वर्ष 2024 तक रेल संपर्क मानचित्र पर लाया जाएगा। आठ साल पहले ऐसा करना पागलपन समझा जाता था। विकास के साथ सशक्तिकरण आता है। पूर्वोत्तर अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है। क्षेत्र के लोग धीरे-धीरे लेकिन लगातार महसूस कर रहे हैं कि भारत में उनकी देखभाल की जाती है। ध्यान देने वाली बात है कि कांग्रेस की सरकारों ने उन्हें लगातार इस भावना से वंचित रखा था। पूर्वोत्तर को कांग्रेसियों ने हीन दृष्टि से देखा लेकिन आज वही पूर्वोत्तर देश के विकास की नई गाथा लिख रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा पूर्वोत्तर को ‘भारत’ के साथ जोड़ रही है और भाजपा की यही विकास की धारा पूर्वोत्तर से AFSPA हटाने की नींव बनी। कांग्रेस इसे राजनीति से जोड़ती थी जबकि भाजपा ने इसे विकास और राष्ट्रनीति से जोड़ा और आज परिणाम सभी के सामने है।
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