शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के बोपाल में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के मुख्यालय का उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी थे।
इस कार्यक्रम में IN-SPACe और अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों और सेवाओं के क्षेत्र में काम करने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान भी हुआ।
इस परियोजना को जून 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। यह अंतरिक्ष विभाग में सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं की अंतरिक्ष गतिविधियों के प्रचार, प्रोत्साहन और विनियमन के लिए एक स्वायत्त और एकल खिड़की नोडल एजेंसी है। यह निजी संस्थाओं द्वारा इसरो सुविधाओं के उपयोग की सुविधा भी प्रदान करता है।
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साल 2020 में यह परियोजना पास होने के अवसर पर ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए एक इंटरव्यू में इसरो के साइंटिस्ट के. सिवान ने बताया था,”कई भारतीय कंपनियां इन अवसरों का उपयोग करने की प्रतीक्षा कर रही थीं। कुछ कंपनियां अपने स्वयं के प्रक्षेपण वाहनों को विकसित करने की प्रक्रिया में थीं और इसरो ऐसा करने में उनकी मदद करना चाहेगा।
अभी भारत से सभी प्रक्षेपण इसरो रॉकेट, पीएसएलवी और जीएसएलवी के विभिन्न संस्करणों पर होते हैं। इसरो निजी कंपनियों को अपनी सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए तैयार है, जिनकी परियोजनाओं को IN-SPACe द्वारा अनुमोदित किया गया था। निजी कंपनियां अगर चाहें तो श्रीहरिकोटा लॉन्च स्टेशन के भीतर अपना लॉन्चपैड भी बना सकती हैं और इसरो इसके लिए जरूरी जमीन मुहैया कराएगा।
ऐसा नहीं है कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग की भागीदारी नहीं है। वास्तव में रॉकेट और उपग्रहों के निर्माण का एक बड़ा हिस्सा अब निजी क्षेत्र में होता है। शोध संस्थानों की भी भागीदारी बढ़ रही है। लेकिन तेजी से बढ़ती वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारतीय उद्योग की हिस्सेदारी बमुश्किल तीन फीसदी थी, जिसकी कीमत पहले से ही कम से कम 360 अरब डॉलर थी।
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इस बाजार का केवल दो प्रतिशत रॉकेट और उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं के लिए था, जिसके लिए काफी बड़े बुनियादी ढांचे और भारी निवेश की आवश्यकता होती है। शेष 95 प्रतिशत उपग्रह आधारित सेवाओं और जमीन आधारित प्रणालियों से संबंधित हैं।
प्रधानमंत्री ने IN-SPACe के लॉन्च को भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के लिए विकास और अवसरों का अग्रदूत बताया। उन्होंने कहा, “इन-स्पेस भारत के युवाओं को भारत के सर्वश्रेष्ठ ज्ञानियों के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देगा। चाहे वे सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे हों या निजी क्षेत्र में, IN-SPACe सभी के लिए बेहतरीन अवसर पैदा करेगा।” प्रधानमंत्री ने आगे विस्तार से बताया “IN-SPACe में भारत के अंतरिक्ष उद्योग में क्रांति लाने की क्षमता है। तो मैं यही कहूंगा- ‘इस स्पेस को देखें’। IN-SPACe अंतरिक्ष के लिए है, IN-SPACe गति के लिए है, और IN-SPACe हुकुम का इक्का है।”
#WATCH For alerting about an exciting post youth nowadays write 'Watch This Space'. For India's space industry too, the launch of INSPACe is 'Watch This Space' moment. It will give opportunities to the best scientific minds working in govt or private sector: PM Modi in Ahmedabad pic.twitter.com/pJ4uPbXOVo
— ANI (@ANI) June 10, 2022
प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत लंबे समय से अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र को केवल एक विक्रेता के रूप में देखा गया है, एक ऐसी प्रणाली जिसने उद्योग में निजी क्षेत्र के लिए प्रगति के रास्ते हमेशा अवरुद्ध किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े विचार ही विजेता बनाते हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार कर, इसे सभी प्रतिबंधों से मुक्त कर, निजी उद्योग को IN-SPACe के माध्यम से समर्थन देकर, देश आज विजेताओं को बनाने का अभियान शुरू कर रहा है।
अब निजी क्षेत्र सिर्फ विक्रेता नहीं रहेगा बल्कि अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़े विजेता की भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सरकारी अंतरिक्ष संस्थानों की ताकत और भारत के निजी क्षेत्र का जुनून मिल जाएगा, तो आसमान भी हमें सीमित नहीं कर पायेगा।
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भारत की सरकारी कंपनियों, अंतरिक्ष उद्योगों, स्टार्टअप्स और संस्थानों के बीच समन्वय लाने के लिए भारत एक नई भारतीय अंतरिक्ष नीति पर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में कारोबार की सुगमता में सुधार के लिए हम जल्द ही एक नीति लाने जा रहे हैं।
IN-SPACe को एक सूत्रधार और नियामक भी माना जाता है। यह इसरो और निजी पार्टियों के बीच एक इंटरफेस के रूप में कार्य करेगा, और यह आकलन करेगा कि भारत के अंतरिक्ष संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए और अंतरिक्ष-आधारित गतिविधियों को बढ़ाया जाए।
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