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समान नागरिक संहिता के आने की गूंज सुन पा रहे हैं आप?

तैयार रहिए!

TFI Desk द्वारा TFI Desk
30 October 2022
in चर्चित, राजनीति
ucc modi
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‘मोदी है तो मुमकिन है’, यह अब केवल एक नारा नहीं बल्कि हकीकत बन चुका है। वर्ष 2014 में जब से भाजपा सत्ता में आयी है, तब से उसने कई ऐसे कार्य संभव करके दिखा दिये, जो कभी असंभव लगा करते थे। राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद- 370 निरस्त करने जैसे बड़े निर्णय लेकर सरकार ने दिखा दिया कि वो कड़े फैसले लेने से डरती नहीं हैं। मोदी सरकार को सूची में अगला लक्ष्य समान नागरिकता कानून यानी UCC लाना शामिल है। समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चाएं तो अक्सर होती ही रहती है, परंतु अब यह चर्चा जमीन पर उतरने वाली है।

भाजपा समान नागरिकता संहिता के पक्ष में रही हैं। भाजपा के नेता अभियान भी चलाते रहते हैं। हालांकि विपक्ष में बैठे कुछ लोग और बुद्धिजीवी इस पर अपना विरोध समय-समय पर दर्ज कराते रहते हैं। परंतु अब इन लोगों के तैयार होने का समय आ गया है, क्योंकि यूसीसी को लेकर चर्चाएं को अब हकीकत में बदलने जा रही है। भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी कर रही है और गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उसने इस दिशा में बड़ा कदम भी आगे बड़ा दिया है। भाजपा का यह अभियान राज्य स्तर पर चल रहा है लेकिन संभावना जतायी जा रही है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इसे पूरे देश में भी लागू कर सकती हैं।

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गुजरात में बनायी गयी कमेटी

गुजरात में विधानसभा चुनाव अब काफी निकट आ चुके है, जिससे पहले अब भाजपा ने बड़ा दांव चलती नजर आ रही है। दरअसल, गुजरात में सरकार ने समान नागरिकता कानून लागू करने का मूड़ बना लिया है और उसके लिए कमेटी बनाने के प्रस्ताव पर भी मुहर लग गई है। यह कमेटी राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की संभावनाओं को तलाशेगी और इसको लेकर विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करेगी। आपको बता दें कि इस कमेटी के अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। गुजरात चुनाव से ठीक पहले इस फैसले को ऐतिहासिक निर्णय के रूप में देखा जा रहा है।

राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से प्रेरणा लेते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लिया है। राज्य में अब समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले समिति का गठन किया जाएगा। सांघवी ने बताया कि निर्णय संविधान के खंड-चार के अनुच्छेद 44 के प्रावधानों के अनुसार लिया गया था, जो राज्य सरकार से सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की अपेक्षा करता है।

गौरतलब है कि समान नागरिकत सहिंता लागू करना बीजेपी के शुरू से ही एंजेडे में रहा है। अभी गोवा को छोड़कर देश के किसी भी राज्य में समान नागरिक संहिता लागू नहीं हैं। गुजरात से पहले समान नागरिक संहिता के लिए उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्णय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में कर चुके हैं और सरकार गठन के बाद अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में उन्होंने इसके लिए विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला भी किया था। उत्तराखंड के बाद अब गुजरात दूसरा भाजपा शासित राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है।

और पढ़ें: पुष्कर सिंह धामी के UCC फैसले से बिलबिला रहा है भारत-अमेरिका मुस्लिम काउंसिल

क्यों समान नागरिक संहिता है जरूरी?

समान नागरिक संहिता का मतलब है देश के सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून होना चाहिए, चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का क्यों ना हो। कानून के लागू हो जाने के बाद शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने या संपत्ति के बंटवारे जैसे मामलों को लेकर सभी धर्म और जाति के लोगों को समान नियमों का पालन करना होगा। इसका लाभ यह होगा कि कानून आने के बाद न्यायपालिका का बोझ हल्का हो जाएगा और न्यायपालिका को फैसले लेने में आसानी होगी। साथ ही देश में किसी भी धर्म जाति के लोग हो वो समान नियमों-कानूनों के अंतर्गत आ जाएंगे। समाज में कई ऐसी कुरितियां हैं जो समान नागरिक संहिता लागू होने से खत्म हो जाएगीं। आपको बता दें कि फिलहाल देश में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग नियम हैं, जैसे हिंदुओं के लिए अलग एक्ट, मुसलमानों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ, जिसके चलते अगर पूरे देश में ही यूनिफोर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा।

आपको बता दें कि भाजपा ने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार अपने घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता के मुद्दे को शामिल किया था। इसके बाद वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में यह कानून लाने का वादा देश की जनता से किया था, खूब चर्चाएं हुईं। अब साल देश में साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की पहल राज्य स्तर पर शुरू हो चुकी है।

और पढ़ें: मोदी सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विपक्षी नेता CBI, ED और ECI जैसी केंद्रीय एजेंसियों का सम्मान करें

2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी?

माना जा रहा है कि इस प्रकार से राज्य स्तर पर कमेटियों का गठन कर सरकार एक तरह से इसे टेस्ट कर रही है। यदि हम गौर करेंगे तो देखेंगे कि मोदी सरकार का इतिहास रहा है कि ये कोई भी बड़ा मुद्दा सुलझाने से पहले पूरे देश में उस विशेष मुद्दे को लेकर देश में माहौल बनाती है, लोगों की राय जानती है फिर देश में चर्चा और बहस का दौर शुरू करवाती है। जिनका सरासर लाभ भी मोदी सरकार को मिलता आया है। राम मंदिर, धारा 370 और तीन तलाक के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। सरकार को ये स्पष्ट पता चल जाता है कि देश का बहुसंख्यक और देश की आम जनता कोई विशेष मुद्दे को लेकर आख़िरकार चाहती क्या है।

2024 चुनाव में भी अब आने वाले हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले माहौल बनाकर मोदी सरकार देशभर में समान नागरिक सहिंता लागू करने की घोषणा करके मास्टर स्ट्रोक खेल सकती है। क्योंकि देखा जाए तो बीजेपी के बड़े एजेंडे आयोध्या में राम मंदिर, कश्मीर से धारा 370 हटाना और समान नागरिक संहिता रहे हैं, जिनमें दो वादे तो पूरे हो गए हैं लेकिन अभी समान नागरिक संहिता देशभर में लागू करने का वादा पूरा नहीं हो पाया। भाजपा के कई नेता अनेक मौकों पर कहते आए हैं कि उनकी पार्टी जो कहती है वो करती भी है। 2024 का लोकसभा चुनाव इसे लागू करने के लिए भाजपा के अच्छा अवसर साबित हो सकता है।

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विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

20 November 2025

20 नवंबर को एक ऐतिहासिक जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के...

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