बा अदब बा मुलाहिज़ा लगातार फ्लॉप फ़िल्में देने वाले बेताज बादशाह फिर से अपनी एक नयी फिल्म लेकर बॉलीवुड की लंका लगाने के लिए पधार रहे हैं। अरे अरे चौकिए मत, हम तो केवल आपको सच्चाई से अवगत करवा रहे हैं। दरअसल, जिस भले एक्टर की हम बात कर रहे हैं वो हैं बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, रक्षाबंधन और राम सेतु जैसी फ्लॉप फिल्में देने वाले अक्षय कुमार। एक ओर जहां बॉलीवुड एक बंजर खेत की तरह होता जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर अक्षय कुमार लगातार खुद की कई फिल्में पिटने के बाद भी अपने अनुसार फिल्मों में काम करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं।
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सामाजिक मुद्दे पर आधारित फिल्म
अभी हाल ही में एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित अक्षय कुमार की फिल्म रक्षाबंधन बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी। लेकिन इसका हाल देखने के बाद भी अक्षय कुमार की बुद्धि का ताला नहीं खुला और वो फिर से एक सोशल मुद्दे का व्यावसायीकरण करने को तैयार खड़े है। इसका अर्थ है कि अक्षय कुमार या तो वास्तविकता से अनभिज्ञ हैं या फिर वो इसे स्वीकार ही नहीं कर पा रहे हैं कि जनता अब उनकी एक ही तरह और एक ही ढर्रे की फिल्में देखकर पूरी तरह से पक चुकी है।
अभी हाल ही में अक्षय कुमार ने सऊदी अरब में आयोजित रेड सी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भाग लिया था। इस दौरान उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि उनका अगला प्रोजेक्ट सेक्स एजुकेशन पर आधारित होगा। वहीं एक रिपोर्ट में किए दावे के अनुसार, अक्षय फिल्म ‘OMG 2’ के बारे में बात कर रहे थे। तो बस फिर से एक सामाजिक मुद्दों की आड़ में अक्षय कुमार के एक लंबे चौड़ें भाषण सुनने के लिए तैयार हो जाइए, हां थोड़ी बहुत हाहा हीही वाली कॉमेडी भी क्योंकि इससे ज्यादा तो कुछ फिल्म में होगा नहीं।
बॉलीवुड हंगामा की रिपोर्ट के अनुसार, ‘OMG- ओह माय गॉड 2’ कथित रूप से कोर्टरूम ड्रामा होने वाली है। इस कोर्टरूम ड्रामा में एक नागरिक कोर्ट में जाकर स्कूलों में यौन शिक्षा को अनिवार्य करने की मांग करता है। पहले पार्ट के जैसे ही इसके सीक्वल का भी एक भगवान से कनेक्शन होगा।
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अक्षय कुमार की रक्षाबंधन फ्लॉप
दहेज़ जैसी कुप्रथा पर बनी फिल्म रक्षाबंधन का बज़ट लगभग 70 करोड़ के आस-पास था और फिल्म की कमाई की बात करें तो ये लगभग 44.39 करोड़ के आस-पास ही रही। वैसे कहने को तो ये फिल्म समाज के गंभीर मुद्दे को दर्शाती है लेकिन अक्षय कुमार ने इस फिल्म को भी अपने मूर्खतापूर्ण भाषण और बेतुकी कॉमेडी से सत्यानाश कर दिया। हिमांशु शर्मा और कनिका ढिल्लन द्वारा लिखी और आनंद एल राय के निर्देशन में बनी इस फिल्म को बनाने का विषय भले ही बहुत अच्छा था लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले और इसके लिए दिखाई जाने वाली डेडीकेशन ने इस बड़े मुद्दे का कचरा कर दिया। लाउड और मेलोड्रमा इस फिल्म की सवेदनशीलता को ले डूबा। ऐसे जरूरी विषयों का व्यावसायीकरण करने की जगह अगर अक्षय कुमार अपनी परफॉर्मेंस पर ध्यान केन्द्रित करते तो आज मामला कुछ और होता।
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आयुष्मान खुराना का उदाहरण
ओह अक्षय कुमार, क्या आपको आयुष्मान खुराना का हाल दिखाई नहीं दे रहा है? विशेष और संवेदनशील मुद्दों का व्यावसायीकरण करने के कारण आज आयुष्मान खुराना का करियर भी गर्त की ओर अग्रसर है। एक्टर आयुष्मान ने अपने करियर की शुरुआत विक्की डोनर जैसी बेहतरीन फिल्म से की थी और फिर उसके बाद एक से एक अच्छी फिल्में की, जिसमें बधाई हो, अंधाधुंध शामिल है। लेकिन शुभ मंगल ज्यादा सावधान, चड़ीगढ़ करे आशिकी और डॉक्टर जी जैसी फिल्मों में काम करने के बाद इन्होंने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। ये फिल्में दर्शकों को कतई इम्प्रेस नहीं कर पाईं जिससे इनके करियर का ग्राफ गिरता ही चला गया। अब ऐसा ही कुछ हाल अक्षय कुमार का भी हो गया है।
लेकिन सच्चाई ये भी है कि एक समय में अक्षय कुमार कई लाजवाब प्रोजेक्ट्स पर भी फ़िल्में बनाने में सफल हुए है। अक्षय कुमार ने सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण फिल्मों जैसे टॉयलेट: एक प्रेम कथा, पैड मैन और गुड न्यूज के साथ राष्ट्र-प्रेमी भारतीयों के दिलों में एक अलग जगह बना लिया। अगर अक्षय केवल फिल्मों से लाभ और एक ही घिसे-पिटे मोड से हटकर खुद पर थोडा जोखिम उठाना शुरू कर दें तो शायद वो एक बार फिर से दर्शकों का प्यार पाने में सफल हो सकते हैं। नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब वो अपनी ही ब्रांड वैल्यू को ध्वस्त कर लेंगे।
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