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रूस के विरुद्ध मतदान में फिर भारत ने नहीं किया प्रतिभाग, इसका अर्थ समझ लीजिए

यह बहुत आवश्यक था!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
26 February 2023
in विश्व
India again abstains at UNGA: The bigger picture

Source: India Today

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रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत ने जो स्टैंड लिया है, उसकी चर्चाएं हर तरफ लंबे समय से हैं और भारत ने एक बार फिर यूएनजीए की वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया है, जोकि भारत की वैश्विक नेतृत्व की इच्छा को दिखाता है।

इस लेख में उन कारणों को जानिए जिसकी वज़ह से भारत ने एक बार फिर यूएन की वोटिंग में प्रतिभाग नहीं किया।

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रूस-यूक्रेन युद्ध को एक वर्ष पूरा हो गया है। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र की महासभा में एक बार फिर रूस के विरुद्ध प्रस्ताव लाया गया, लेकिन इस समय हुए मतदान में भारत और चीन ने प्रतिभाग नहीं लिया। 193 सदस्य देशों में से 141 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इससे पहले भी कई बार महासभा में रूस के विरुद्ध लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

रुचिरा कंबोज ने क्या कहा?

इस बारे में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने भारत के मतदान में प्रतिभाग नहीं करने का कारण समझाया। साथ ही उन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर प्रश्नचिह्न भी लगाए।

रुचिरा कम्बोज के अनुसार, “समकालीन चुनौतियों से निपटने में संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद की प्रभावशीलता पर प्रश्न खड़ा होता है। भारत दृढ़ता से बहुपक्षवाद के लिए प्रतिबद्ध है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों को बरकरार रखता है। हम सदैव बातचीत और कूटनीति को एकमात्र उपाय मानते हैं। हमने जब आज के प्रस्ताव में दिए गए उद्देश्य पर ध्यान दिया, तब स्थायी शांति प्राप्ति करने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने में इसकी सीमा को देखते हुए हम इस मतदान से स्वयं को दूर रखने के लिए मजबूर हो गए”।

और पढ़ें: रूस-चीन का निरंतर करीब आते जाना क्या भारत के लिए चिंता का विषय है?

 

 

इसके अतिरिक्त रुचिरा ने एक अन्य प्रश्न उठाया, “क्या हम दोनों पक्षों के स्वीकार करने योग्य किसी परिणाम पर हैं? क्या कोई भी प्रक्रिया जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है, कभी भी एक विश्वसनीय और सार्थक समाधान की ओर ले जा सकती है? उन्होंने कहा- क्या संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, और विशेष रूप से इसका प्रमुख अंग, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अप्रभावी हो गया है।

कंबोज ने आगे कहा “भारत, यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है, जहां संघर्ष के कारण अनगिनत लोगों की जान चली गई, इसका दुख है- विशेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए। लाखों लोग बेघर हो गए और पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए। हमने लगातार इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। हमारे प्रधानमंत्री का यह कथन कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता है, दोहराए जाने योग्य है। शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है, इसके बजाय बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी ही आगे का रास्ता है”।

मतदान में प्रतिभाग ना करना आवश्यक क्यों?

 

परंतु विगत कुछ माह में जो कुछ हुआ, उसके पश्चात इन बातों को एक अलग दृष्टिकोण से समझना होगा।

रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद पूरी दुनिया दो धड़ों में बंट गई- कुछ देश रूस के समर्थन में खड़े हो गए जबकि ज्यादातर देश रूस के विरुद्ध खड़े हो गए, लेकिन भारत ना ही रूस के साथ खड़ा हुआ और ना ही रूस के विरुद्ध। ऐसे में भारत विश्व का इकलौता ऐसा राष्ट्र है जो दोनों देशों के बीच शांति करवा सकता है और दोनों देशों को बातचीत की पटरी पर ला सकता है। इसलिए भारत का रूस के विरुद्ध हुई इस वोटिंग से बाहर रहना बिल्कुल सही था- क्योंकि यदि भारत वोटिंग करता तो वो भी एक पक्ष में खड़ा दिखता।

इसके अलावा दूसरी तरफ कुछ समय बाद अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारत यात्रा पर आ सकते हैं, जिसका स्पष्ट अर्थ होगा कि अमेरिका भारत को अपनी ओर आकृष्ट करने का भरसक प्रयास करेगा।

और पढ़ें: रूस और यूक्रेन दोनों ही भारत के विरुद्ध एक भी शब्द क्यों नहीं बोलते?

 

ऐसा क्यों? विगत कुछ माह में भारत ने ऐसी नीति अपनाई है, जिससे अमेरिका और रूस दोनों दुविधा में हैं।

इसके संकेत तब मिले, जब कुछ समय पूर्व रूसी यात्रा पर गए भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एकांत में काफी लंबी बातचीत की।

इसके पीछे का कारण? हाल ही में अजीत डोभाल अमेरिका के दौरे पर गए थे जहां इस दौरान भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच आपसी समन्वय और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी बातचीत की गई थी। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच iCET डील हुई थी। इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भेंट हुई। डोभाल इस डील के लिए ही 30 जनवरी को वॉशिंगटन पहुंचे थे। इस डील को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का भी कहना था कि इस डील के माध्यम से दोनों देश चीन के सेमीकंडक्टर्स, मिलिट्री इक्विपमेंट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सामना कर सकेंगे।

वैश्विक रूप से भारत की शक्ति से बाकी के देश तब भी और निकटता से परिचित होंगे जब भारत G20 और SCO की अध्यक्षता की भूमिका निभाएगा। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया के बाली में हाल ही में संपन्न हुई जी20 बैठकों में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत के अथक प्रयासों का कारण था कि पश्चिमी देश रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर सम्मेलन में रूस के विरुद्ध तीखी भाषा में प्रस्ताव पास नहीं करा सके। रूस समझता है कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो इस युद्ध में दोनों देशों के साथ समान भाव रखता है।

 

हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत

 

देखने वाली बात ये है कि भारत रूसी हथियारों और रक्षा प्रणाली का दुनिया का सबसे बड़ा खरीददार है। भारतीय वायुसेना, नौसेना और थल सेना के लगभग 85 प्रतिशत हथियार रूसी हैं। कई बार अमेरिका ने भारत को हथियार बेचने का प्रयास किया है लेकिन उनकी सफलता सीमित रही है।

और पढ़ें: क्या चीन-रूस की बढ़ती मित्रता भारत के लिए ख़तरा है? बिल्कुल भी नहीं!

 

तो क्या भारत अमेरिका की ओर आकृष्ट हो रहा है? ऐसा नहीं है, क्योंकि जिस प्रकार रूस–यूक्रेन प्रकरण में भारत तटस्थ रहा, ठीक उसी भांति अपने आर्थिक संबंधों में भी भारत किसी भी देश को आवश्यकता से अधिक प्राथमिकता नहीं देना चाहेगा। भारत का रुख स्पष्ट है: वह हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा, परंतु किसी देश को विशेष रूप से शत्रु नहीं बनाएगा।

इसके अतिरिक्त हाल ही में भारत ने रक्षा क्षेत्र में अन्य देशों के साथ संबंध बढ़ाने के साथ-साथ अपनी सैन्य शक्ति दिखाने के लिए एयरो इंडिया शो की मेजबानी की है। इस दौरान सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए रूसी संघीय सेवा के उप-निदेशक, व्लादिमीर ड्रोझझोव ने संयुक्त रूप से डीजल पनडुब्बी विकसित करने की पेशकश की है।

रुस ने भारत के साथ संयुक्त रूप से रूसी अमूर-1650 पनडुब्बी पर आधारित एक गैर-परमाणु पनडुब्बी विकसित करने की पेशकश की है।

ऐसे में UNGA द्वारा रूस के विरुद्ध पारित प्रस्ताव से भारत का बाहर रखना दिखता है कि वो अपनी नीति पर अडिग है- और भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी देश के साथ किस विषय पर साझेदारी करेगा।

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Tags: India abstain from unga votingIndia over Russia-Ukrain WarIndia-Russia RelationUNGA OVER RUSSIA-UKRAIN WAR
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