TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    कथित तौर पर यह झड़प 22 जुलाई को राजधानी स्थित कर्नाटक भवन के प्रशासनिक कार्यालय में हुई थी।

    दिल्ली की ज़मीन पर कर्नाटक की लड़ाई: सीएम और डिप्टी सीएम खेमों में आर-पार की जंग

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो चढ़ावा पिघलाया

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो से चढ़ावे का सोना पिघलाया

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को क्यों लगेगा बड़ा डेंट, मैक्रों की मजबूरी जानें

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को बड़ा झटका, जानें क्या है मैक्रों की मजबूरी

    वैश्विक आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान आंतरिक संघर्षों से भी जूझ रहा है

    पासपोर्ट रैंकिंग में पाकिस्तान फिर फिसड्डी, उत्तर कोरिया और सूडान जैसे देशों से भी नीचे रही रैंकिंग

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    अब तक आजाद नहीं हो सकीं आजाद की अस्थ्यिां, पांच दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    आज तक ‘आज़ाद’ नहीं हो सकीं चंद्रशेखर आजाद की अस्थियां, 5 दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    ड्रूज़ समुदाय (Photo - The National News)

    इस्लाम से निकले ड्रूज़ समुदाय की कहानी जो करता है पुनर्जन्म में विश्वास; इन्हें बचाने के लिए इज़रायल ने किए सीरिया में हमले

    आरएसएस के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया

    वैज्ञानिक और शिक्षक से सरसंघचालक तक: प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य ‘रज्जू भैया’ की प्रेरक जीवनयात्रा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कौन देगा?”

    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कब मिलेगा?”

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    कैंपस हॉस्टल से कामिकेज ड्रोन: भारतीय सेना को युद्ध के लिए तैयार ड्रोन इस तरह पहुंचा रहे बिट्स के दो छात्र

    20 वर्षीय छात्रों ने हॉस्टल में बनाया 300 km/h की रफ्तार वाला कामिकेज़ ड्रोन, अब सेना करेगी इस्तेमाल

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    कथित तौर पर यह झड़प 22 जुलाई को राजधानी स्थित कर्नाटक भवन के प्रशासनिक कार्यालय में हुई थी।

    दिल्ली की ज़मीन पर कर्नाटक की लड़ाई: सीएम और डिप्टी सीएम खेमों में आर-पार की जंग

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो चढ़ावा पिघलाया

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो से चढ़ावे का सोना पिघलाया

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को क्यों लगेगा बड़ा डेंट, मैक्रों की मजबूरी जानें

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को बड़ा झटका, जानें क्या है मैक्रों की मजबूरी

    वैश्विक आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान आंतरिक संघर्षों से भी जूझ रहा है

    पासपोर्ट रैंकिंग में पाकिस्तान फिर फिसड्डी, उत्तर कोरिया और सूडान जैसे देशों से भी नीचे रही रैंकिंग

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    विजय दिवस पर घोषणा: दिल्ली में स्कूलों के नाम होंगे अब कारगिल के शहीदों के नाम पर

    अब तक आजाद नहीं हो सकीं आजाद की अस्थ्यिां, पांच दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    आज तक ‘आज़ाद’ नहीं हो सकीं चंद्रशेखर आजाद की अस्थियां, 5 दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    ड्रूज़ समुदाय (Photo - The National News)

    इस्लाम से निकले ड्रूज़ समुदाय की कहानी जो करता है पुनर्जन्म में विश्वास; इन्हें बचाने के लिए इज़रायल ने किए सीरिया में हमले

    आरएसएस के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया

    वैज्ञानिक और शिक्षक से सरसंघचालक तक: प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य ‘रज्जू भैया’ की प्रेरक जीवनयात्रा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कौन देगा?”

    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कब मिलेगा?”

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    कैंपस हॉस्टल से कामिकेज ड्रोन: भारतीय सेना को युद्ध के लिए तैयार ड्रोन इस तरह पहुंचा रहे बिट्स के दो छात्र

    20 वर्षीय छात्रों ने हॉस्टल में बनाया 300 km/h की रफ्तार वाला कामिकेज़ ड्रोन, अब सेना करेगी इस्तेमाल

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

मुंगेर और मोदीनगर की राह पर चल पड़ा है शिवकाशी!

जाने किसकी नज़र लग गई!

Pratyush Madhav द्वारा Pratyush Madhav
26 September 2023
in मत
मुंगेर और मोदीनगर की राह पर चल पड़ा है शिवकाशी!
Share on FacebookShare on X

कभी सोचा है कि मुंगेर, मोदीनगर और शिवकाशी में क्या समान बात है?  ये तीनों शहर अपने इतिहास में एक समान सूत्र साझा करते हैं, क्योंकि एक समय ये भारत के औद्योगिक केंद्र जो ठहरे। एक समय मुंगेर शस्त्र निर्माण के लिए प्रसिद्ध था, जबकि मोदीनगर कपड़ा मिलों के कारण समृद्ध था, और शिवकाशी ने पटाखों और माचिस की डिब्बियों के कारण अपना नाम बनाया।

परन्तु आज तो स्थिति कुछ और ही है! मुंगेर और मोदीनगर ने अपनी औद्योगिक चमक खो दी है और अब वे अपने पूर्व स्वरूप की छाया मात्र रह गए हैं। दुर्भाग्य से, शिवकाशी भी इसी राह पर चल पड़ा है। अब प्रश्न तो स्वाभाविक है: आखिर क्यों?

संबंधितपोस्ट

राम मंदिर के समर्थन पर पिता हुए थे बहिष्कृत, किताब के लिए नहीं मिले थे प्रकाशक; कहानी मीनाक्षी जैन के संघर्ष की

बदलते भारत में युवाओं के लिए क्या हैं मौके? जानें विदेशी निवेश एक्सपर्ट मनु सेठ की राय

पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों के ईद मनाने पर पाबंदी, क्या है इनका इतिहास?

और लोड करें

इसका उत्तर उन व्यक्तियों के समूह के ठोस प्रयासों में निहित है जिन्हें अक्सर बुद्धिजीवियों और पर्यावरणविदों के रूप में जाना जाता है। ऐसा लगता है कि वे ऐसी किसी भी चीज़ का विरोध करते हैं जो खुशी लाती है या भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान देती है, शिवकाशी उनका नवीनतम शिकार है। तो सभी को सादर नमस्कार, और जुड़िये हमारे साथ शिवकाशी के सामने वर्तमान चुनौतियों का पता लगाने, एवं पर्यावरणीय चिंताओं और आर्थिक प्रगति के बीच टकराव की जांच करने।

एक “पटाखा केंद्र” से कहीं अधिक है शिवकाशी!

एक समय शिवकाशी तमिलनाडु के लिए वही था, जो जो उत्तर प्रदेश के लिए कानपुर का था, अर्थात एक संपन्न औद्योगिक केंद्र। शिवकाशी सिर्फ एक आर्थिक महाशक्ति नहीं थी; यह संस्कृति और इतिहास से समृद्ध शहर था, जिसमें न केवल उद्योग की विरासत बल्कि आध्यात्मिक महत्व भी था। हालाँकि बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि शिवकाशी में बद्रकाली अम्मन मंदिर जैसे कुछ पवित्र स्थान भी हैं, जो इसकी सांस्कृतिक संपदा को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, अति लोकप्रिय  सुपरस्टार श्रीदेवी का जन्म शिवकाशी के मुख्य नगर  से थोड़ी दूर एक गाँव में हुआ था। अब ऐसी विविध विरासत कौन नहीं चाहेगा?

शिवकाशी की अर्थव्यवस्था के केंद्र में तीन महत्वपूर्ण उद्योग हैं: पटाखे, माचिस निर्माण और छपाई यानि प्रिंटिंग उद्योग। इसकी सीमाओं के भीतर, 520 पंजीकृत मुद्रण उद्योग, 53 माचिस कारखाने, 32 रासायनिक कारखाने, सात सोडा कारखाने, चार आटा मिलें, और दो चावल और तेल मिलें फली-फूलीं। यह शहर देश भर में पटाखा निर्माण के लिए केंद्रीय केंद्र के रूप में कार्य करता था।

और पढ़ें: कैसे एमबीए की अनेक स्ट्रीम एक प्रोफेशन में समाहित होती है – भारतीय गृहणी

वर्ष 2020 में, शिवकाशी में लगभग 1070 पंजीकृत पटाखा निर्माण कंपनियों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 800,000 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया। कुछ निजी उद्यमों का वार्षिक कारोबार ₹5 बिलियन (US$63 मिलियन) से भी अधिक होने का दावा किया गया।

2011 में, शिवकाशी में पटाखा, माचिस बनाने और प्रिंटिंग उद्योगों का संचयी अनुमानित कारोबार प्रभावशाली ₹ 20 बिलियन (US$250 मिलियन) था। आश्चर्यजनक रूप से, भारत में उत्पादित लगभग 70% पटाखे और माचिस शिवकाशी से आए थे। शहर की गर्म और शुष्क जलवायु ने इन उद्योगों के पनपने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ तैयार कीं।

इसके अलावा, शिवकाशी ने डायरी उत्पादन के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भारत में उत्पादित सभी डायरियों में 30% का योगदान दिया। प्रारंभ में, शहर में मुद्रण उद्योग मुख्य रूप से पटाखों के लिए लेबल बनाने पर केंद्रित था, लेकिन तब से यह काफी विकसित हुआ है, जिसमें एक गतिशील मुद्रण केंद्र के रूप में उभरने के लिए आधुनिक मशीनरी को शामिल किया गया है।

शिवकाशी सिर्फ एक औद्योगिक शहर से कहीं अधिक रहा है; यह समृद्ध विरासत वाला एक जीवंत, बहुआयामी समुदाय था, एक आर्थिक महाशक्ति था जिसने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और एक ऐसा स्थान जहां संस्कृति, वाणिज्य और शिल्प कौशल पूर्ण सामंजस्य में थे।

कैसे चला शिवकाशी मुंगेर और मोदीनगर की राह पर?

तो फिर शिवकाशी की समृद्धि को आखिर किसकी कुदृष्टि लग गई? इसके पीछे तीन प्रमुख कारण है: समाजवाद, समाजवाद और ढेर सारा समाजवाद! वो कैसे? इसी विचारधारा ने कभी अन्य समृद्ध औद्योगिक केंद्रों जैसे कि हथियार निर्माण के लिए मशहूर मुंगेर और  कपडा उद्योग के लिए चर्चित मोदीनगर को एक ‘घोस्ट टाउन’  में परिवर्तित करने में ‘महत्वपूर्ण’ भूमिका निभाई, जिसका औद्योगिक गौरव छीन लिया गया।

अब इन जीवंत औद्योगिक केन्द्रों पर समाजवाद की छाया कैसे पड़ी? 1950 में, एक राष्ट्र के रूप में बिखरे और कुचले होने के बावजूद, भारत ने इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और यहां तक कि जापान और चीन जैसे देशों से बेहतर बुनियादी ढांचे को प्राप्त किया था। यदि हमने मुंगेर और कानपुर जैसे शहरों की क्षमता का दोहन किया होता, जो अपने-अपने उद्योगों में फल-फूल रहे थे, तो भारत कुछ ही समय में एक औद्योगिक महाशक्ति के रूप में उभर सकता था।

हालाँकि, नेहरू और उनके उत्तराधिकारियों जैसे नेताओं द्वारा समर्थित फैबियन समाजवाद ने न केवल हमारी आर्थिक वृद्धि को अवरुद्ध किया, बल्कि इन औद्योगिक शहरों की क्षमता पर भी ग्रहण लगा दिया। विडंबना यह है कि स्वतंत्रता के बाद की सरकार ने अहिंसा की वकालत करते हुए हथियारों के उत्पादन सहित उद्योगों पर गंभीर प्रतिबंध लगा दिए। कल्पना करें कि यदि इसके स्थान पर इन उद्योगों का पोषण किया गया होता; इन कस्बों का परिदृश्य  पूरी तरह से अलग होता। मुंगेर तो 1960 या 1970 के दशक में भारत का पहला रक्षा केंद्र बन सकता था, और मोदीनगर एवं कानपुर टेक्सटाइल उद्योग में मैनचेस्टर को मीलों पीछे छोड़ दिए होते।

और पढ़ें: पीपल के पेड़ काटकर पाईन के पेड़ लगाना कोई समझदारी नहीं!

कुछ रिपोर्टें मोदीनगर की गिरावट का कारण पारिवारिक विवादों को बताती हैं, परन्तु असली दोषी ट्रेड यूनियनवादियों द्वारा निरंतर हड़ताल का आह्वान करना था । इसी तरह की रणनीति ने कानपुर, कोलकाता जैसे शहरों को पंगु बना दिया था और मुंबई को लगभग नष्ट कर दिया था। तो, इसका शिवकाशी से क्या संबंध है?  कुछ लोग दुर्घटनाओं और बाल श्रम को इसके पतन का कारण बताते हैं, जबकि सत्य तो कुछ और ही है।

स्वार्थी पर्यावरणविदों ने, थूथुकुडी में स्टरलाइट संयंत्र को बंद कर भारत को तांबे के निर्यातक से आयातक में बदल दिया, और फिर शिवकाशी की ओर अपनी कुदृष्टि घुमाई। वायु प्रदूषण पर उनके प्रभाव पर विपरीत शोधपत्रों के बावजूद, कई क्षेत्रों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के उनके सुनियोजित अभियान, शिवकाशी की औद्योगिक चमक फीकी पड़ने के प्राथमिक कारणों में से एक हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो बिना SUV के तड़पने लगते हैं, परन्तु अपने सुख के लिए ये लाखों बच्चों को उदास करने और करोड़ों लोगों की दीपावली मनहूस बनाने को तैयार हैं!

ये अस्वीकार्य है!

चूंकि सुप्रीम कोर्ट के केवल ‘हरित पटाखे’ बनाने के निर्देश के कारण आतिशबाजी निर्माण उद्योग पर अनिश्चितता मंडरा रही है, शिवकाशी और उसके संबद्ध उद्योगों में आठ लाख श्रमिकों को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है। पहले ही, COVID-19 महामारी सहित विभिन्न कारकों के कारण 1.5 लाख नौकरियाँ नष्ट हो चुकी हैं। यदि लोग इस सिलेक्टिव एक्टिविज़्म का विरोध नहीं करते हैं, जो तमिलनाडु में रोजगार को खतरे में डालती है और पूरे देश को प्रभावित करती है, तो आगे और भी नौकरियां जाने का खतरा है।

अगर किसी ‘पर्यावरण रक्षक’ को पटाखों से समस्या है, तो वह कभी भी स्विट्ज़रलैंड या अमेरिका जैसे अपने प्रिय डेस्टिनेशन की टिकट कटवा सकता है। परन्तु कुछ दिनों की ‘तकलीफ’ के पीछे लाखों लोगों के रोज़ी रोटी छीनने एवं बच्चों के मुख से मुस्कान छीनने का अधिकार इन एक्टिविस्टों को किसने दिया? ये दोमुंहापन स्वीकार्य नहीं है! इनकी कुंठा के लिए हम अपने संस्कृति और अर्थ से क्यों समझौता करें?

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: declineeconomyEmploymentenvironmentalistsfirecrackersgreen crackersHistoryindustrial hubsindustrial powerhouseIntellectualsjob lossesLivelihoodsmatchbox manufacturingModi NagarMungerOppositionprintingrestrictionsselective activismSivakasiSocialismSridevistrikestrade unioniststurnover
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

अब ट्रूडो के दावों को कैनेडियाई मीडिया ही कर रहा “फैक्ट चेक!”

अगली पोस्ट

“नमस्ते फ्रॉम भारत”: वैश्विक व्यवस्था के लिए जयशंकर का स्पष्ट सन्देश!

संबंधित पोस्ट

आरएसएस की शाखा से ‘टीम मैनेजमेंट’ का प्रशिक्षण
मत

आरएसएस की शाखा से ‘टीम मैनेजमेंट’ का प्रशिक्षण

22 July 2025

जैसे-जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का शताब्दी वर्ष निकट आ रहा है, उसके कार्यों की चर्चा बढ़ती जा रही है। संघ की ओर से भी...

‘विश्व संवाद केंद्र’ संचार माध्यमों, सोशल मीडिया और मीडिया की ताकत को राष्ट्र हित में उचित दिशा देने के लिए प्रयासरत है
मत

‘संवाद से सौहार्द’ की ओर ‘विश्व संवाद केंद्र’ की भूमिका

20 July 2025

‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’, ऋग्वेद की ऋचा की यह पंक्ति अधिकांश लोगों ने सुनी या पढ़ी होगी । यह ऋचा आज भी उतनी...

आरएसएस के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया
इतिहास

वैज्ञानिक और शिक्षक से सरसंघचालक तक: प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य ‘रज्जू भैया’ की प्रेरक जीवनयात्रा

14 July 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के लिए ‘14 जुलाई’ का दिन विशेष स्मृति दिवस होता है, क्योंकि 14 जुलाई 2003 को संघ चतुर्थ सरसंघचालक प्रो....

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Will India Buy F-35s from US or Build Su-57s with Russia? IAF’s Big Push Explained

Will India Buy F-35s from US or Build Su-57s with Russia? IAF’s Big Push Explained

00:08:32

PM Modi’s Blueprint for Tamil Nadu Begins at Rajendra Chola’s Capital Gangaikonda Cholapuram

00:07:57

One Woman. Two Brothers. Jodidaran- A Living Example of Polyandry in Himachal's Hatti Tribe.

00:05:32

Lashkar-e-Taiba on the Run from Muridke: Is Bahawalpur Becoming Pakistan’s New Terror Capital?

00:07:26

Britain’s Million-Dollar Bird Finally Takes Off!

00:06:43
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप
MASHABLE IS A GLOBAL, MULTI-PLATFORM MEDIA AND ENTERTAINMENT COMPANY. FOR MORE QUERIES AND NEWS, CONTACT US AT info@mashablepartners.com


©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited