भारत और मालदीव में तनाव लगातार जारी है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन को खुश करने के लिए भारत से पंगा ले रहे हैं। उन्होंने मालदीव की विदेश नीति को पूरी तरह से चीन के पक्ष में मोड़ दिया है। इतना ही नहीं, वह भारत के खिलाफ लगातार फैसले भी ले रहे हैं। ऐसे में भारत ने हिंद महासागर में मालदीव की काट ढूंढ ली है। यह देश इंडो-पैसिफिक में भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी कर चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मदद करेगा। इतना ही नहीं, भारत इस देश के साथ मिलकर मालदीव को भी अच्छा सबक सिखा सकता है। यह देश कोई और नहीं, बल्कि मॉरीशस है।
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भारत के लिए हमेशा से रहा मॉरीशस महत्वपूर्ण
हिंद महासागर पर अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण मॉरीशस हमेशा भारत के लिए महत्वपूर्ण रहा है। भारत सरकार भी सुरक्षा और सभी के लिए विकास (SAGAR) नीति के तहत मॉरीशस को एक महत्वपूर्ण देश मानती है। इतना ही नहीं, भारत, मॉरीशस को फॉरवर्ड अफ्रीका के नजरिए से भी देख रहा है।
कई विकास परियोजनाओ का मॉरीशस में मोदी ने किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में छह सामुदायिक विकास परियोजनाओं के साथ-साथ नई हवाई पट्टी और सेंट जेम्स जेट्टी का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया है।
इन परियोजनाओं का उद्घाटन भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत और दशकों पुरानी विकास साझेदारी का प्रमाण है, जिससे मुख्य भूमि मॉरीशस और अगालेगा के बीच बेहतर कनेक्टिविटी की मांग पूरी होगी, समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इन परियोजनाओं का उद्घाटन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उद्घाटन अभी हाल में 12 फरवरी, 2024 को दोनों नेताओं द्वारा मॉरीशस में यूपीआई और रूपे कार्ड सेवाओं के लॉन्च के बाद हुआ है।
पीएम मोदी ने मॉरीशस को सराहा
परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब समुद्री सुरक्षा की बात आती है तो भारत और मॉरीशस “प्राकृतिक भागीदार और हितधारक” हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मॉरीशस भारत के SAGAR विजन में एक प्रमुख भागीदार रहा है और ग्लोबल साउथ का एक देश होने के नाते, मॉरीशस भारत के लिए प्राथमिकता का स्थान रखता है। अगालेगा हवाई पट्टी और सेंट जेम्स जेट्टी भारत को परिचालन कारणों से वहां अपने युद्धपोत भेजने में सक्षम बनाएगी, जिससे चीनी जहाजों की आवाजाही सहित वहां निगरानी गतिविधियां चल सकेंगी।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों देश समुद्री क्षेत्र में स्वाभाविक साझेदार हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि मॉरीशस भारत की जन औषधि योजना में शामिल होने वाला पहला देश होगा। इस योजना के तहत किफायती दरों पर गुणवत्ता वाली दवाएं प्रदान की जाती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हिंद महासागर क्षेत्र में विभिन्न पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियां उभर रही हैं। ये चुनौतियां हमारी आर्थिक प्रणालियों को प्रभावित करती हैं। भारत और मॉरीशस इन चुनौतियों से निपटने के लिए समुद्री क्षेत्र में स्वाभाविक साझेदार हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में सक्रियता से काम कर रहे हैं।’ उनकी यह टिप्पणी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दखल को लेकर भारत सरकार में बढ़ती चिंताओं के बीच आई है।
मोदी ने कहा कि भारत और मॉरीशस के बीच विकास साझेदारी दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों का एक ‘महत्त्वपूर्ण स्तंभ’ है। उन्होंने कहा, ‘हमारी विकास साझेदारी मॉरीशस की प्राथमिकताओं पर आधारित है।’
भारत ने पहले मालदीव को दी थी प्राथमिकता
साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के के कारण भारत मॉरीशस को काफी अहमियत देता है। फरवरी 2021 में, भारत और मॉरीशस ने समुद्री क्षेत्र जागरूकता और सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक और रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमति जताई थी।
भारत ने मॉरीशस को लीज पर एक डोर्नियर विमान और एक उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव की भी पेशकश की थी। लेकिन, जब भारत के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन के खिलाफ द्विपक्षीय संबंधों का लाभ उठाने की बात आई तो भारत ने मालदीव को प्राथमिकता दी। भारत ने मालदीव में अपनी उपस्थिति बढ़ाई, जो बाद में चीन की चाल का भेंट चढ़ गया।
भारत के लिए मॉरीशस क्यों महत्वपूर्ण है?
मोहम्मद मुइज्जू सरकार के तहत मालदीव की स्थिति तेजी से वैसी ही होती जा रही है जैसी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के शासनकाल में थी। मालदीव वर्तमान में पूरी तरह से चीन के प्रभाव में आ गया है। ऐसे में भारत को अब अहसास है कि हिंद महासागर में रणनीतिक बढ़त के लिए सिर्फ एक देश को महत्व देना फायदे का सौदा नहीं होगा।
ऐसे में भारत हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी को लेकर मॉरीशस के साथ तेजी से काम कर रहा है। इसके अलावा भारत को लाल सागर संकट से पैदा हुए खतरों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत राजनयिक कार्ड खेलकर मॉरीशस को तेजी से अपना सहयोगी बना रहा है।
मॉरीशस में एयरपोर्ट से भारत को क्या फायदा
सूत्रों के अनुसार, इससे न केवल भारत को खुद को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय शक्ति के रूप में पेश करने में मदद मिलेगी, बल्कि भारतीय नौसेना को भी वहां अपनी ताकत बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री जुगनाथ ने दोनों परियोजनाओं को “प्रमुख परिवर्तनकारी परियोजनाएं” कहा, जो विकास के उद्देश्यों को पूरा करने के साथ-साथ समुद्री निगरानी और सुरक्षा में क्षमताओं और क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी।”
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