1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यु कोर्ट ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर हत्या और दंगे भड़काने समेत कई मामलों में मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा जगीदीश टाइटलर के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त सबूत है। शुक्रवार को कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की अलग- अलग धाराओं के अंतर्गत हत्या, दंगा भड़काने समेत अन्य कई आरोपों में मामला चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मिले हैं।
जगदीश टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त सबूत
कोर्ट ने टाइटलर के खिलाफ दंगा, समाज में दुश्मनी बढ़ाना, पूजास्थल को नुकसान पहुंचाना और हत्या समेत अन्य मामलों में पर्याप्त सबूत पाया है और मामले को आगे बढ़ाने के आदेश दिए हैं। टाइटलर के खिलाफ अब सितंबर में आरोप तय होन पर सुनवाई होगी।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हत्याकांड
जगदीश टाइटलर के खिलाफ यह मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के एक इलाके में लोगों को भड़काने के लिए चल रहा है। इस मामले में सीबीआई ने मई, 2023 में चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने टाइटलर पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस चार्जशीट में गवाहों के हवाले से कहा गया था कि टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था और दगों का नेतृत्व किया था। इस चार्जशीट में दिए गए बयान में कहा गया है ”जगदीश टाइटलर ने भीड़ से पहले सिखों को मारने और फिर उनकी दुकानें एवं कीमती सामान लूटने के लिए कहा।”
टाइटलर पर भीड़ को उकसाने का आरोप
चार्जशीट में यह भी कहा गया था कि जगदीश टाइटलर ने दंगाइयों को आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। चार्जशीट में दर्ज एक प्रत्यक्षदर्शी के बयान में कहा गया है कि कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर अपनी सफेद एम्बेसडर कार से बाहर निकले और भीड़ को उकसाना शुरू कर दिया और दंगाइयों से दुकानें लूटने के लिए कहा। गवहों ने बताया कि उन्होंने अपनी गाड़ी से उतर कर कहा, ”सिखों को मारो, इन्होंने हमारी मां को मार दिया।”
इस चार्जशीट में एक और गवाह का जिक्र किया गया है। गवाह के बयान में कहा गया है कि तत्कालीन सांसद टाइटलर ने दिल्ली के आजाद मार्केट में गुरुद्वरा पुल बंगश पर हमले के लिए भी उकसाया था। इसके परिणामस्वरूप भीड़ ने गुरुद्वारा पुल बंगश पर हमला कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप भीड़ ने गुरुद्वारा पुल बंगश को आग लगा दी और 1 नवंबर 1984 को सिख समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी गई।
विश्व नाथ झा।