कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कैंसर के चलते भी हर साल लाखों लोग काल के काल में समा जाते हैं। अब कोरोना और कैंसर से जुड़ी पॉजिटिव खबर सामने आई है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना वायरस कैंसर रोकने में कारगर हो सकता है। शोध में सामने आया कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद कैंसर पीड़ितों के ट्यूमर सिकुड़ना शुरू हो गए थे।
दरअसल, अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन कैनिंग थोरासिक संस्थान ने मरीजों पर शोध करने के बाद एक शोध पत्र (जर्नल) जारी किया है। इसके अनुसार कोविड-19 यानी कोरोना फैलाने वाले SARS-CoV-2 वायरस के आरएनए के चलते शरीर में कैंसर से लड़ने वाली एक कोशिका का निर्माण हुआ है। शोध में लगे वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना के चलते बनी कोशिका कैंसर की कोशिकाओं पर हमला करती पाई गई हैं। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि कोरोना के चलते बनी कोशिकाओं के जरिए कैंसर का इलाज किया जा सकता है।
नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन कैनिंग थोरासिक संस्थान के डायरेक्टर और इस शोध से जुड़े वैज्ञानिक अंकित भरत ने कहा, “हमने पाया कि कोरोना वायरस के चलते बनी कोशिकाओं को कैंसर से लड़ने के लिए एक दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। हमने अध्ययन में मेलेनोमा (त्वचा कैंसर), फेफड़े, स्तन और पेट के कैंसर के खिलाफ कोविड-19 की कोशिकाओं को काम करते हुए देखा है। हालांकि यह अभी शुरुआती चरण में है और इसके प्रभाव का अध्ययन केवल पशुओं में ही किया गया है। इसका उपयोग कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए भी किया जा सकता है।”
डॉ. भरत ने शोध को विस्तार से समझाते हुए कहा, “कोविड-19 के संक्रमण के दौरान बनी इन कोशिकाओं को इतना खास बनाने के पीछे उनकी दोहरी क्षमता है। शरीर में उपस्थित रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं, शरीर के सभी हिस्सों में घूमते हुए खतरों की तलाश करती हैं। लेकिन कैंसर वाले हिस्से में रिसेप्टर्स की कमी के कारण ट्यूमर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। वहीं कोरोना वायरस के चलते विशेष प्रकार के रिसेप्टर बनते हैं, जिससे कोविड-19 के चलते बनी कोशिकाएं ट्यूमर में आसानी से पहुंच जाती हैं। इसके बाद, कैंसर वाली कोशिकाओं पर झुंड बनाकर हमला करती हैं, जिससे ट्यूमर का फैलना बंद हो जाता है और कई बार उसके बहुत सारे हिस्से नष्ट हो जाते हैं।” सीधे शब्दों में कहें तो कैंसर खत्म होना शुरू हो जाता है।
कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. संदीप गांगुली इस बारे में बात करते हुए कहते हैं…
“ऐसा माना जा रहा है कि जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो उसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली नई कोशिकाएं तेजी से काम करती हैं। इससे ट्यूमर कम हो जाता है और कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को पूरी तरह से आराम मिल जाता है।”
कैंसर के लिए वैक्सीन से लेकर बाइब्रेशन तक का दावा:
उल्लेखनीय है कि कैंसर को लाइलाज बीमारी माना जाता है। हाल ही में रूस ने कैंसर की वैक्सीन बनाने का दावा किया था। इसे कैंसर के खिलाफ बड़ी जीत माना जा रहा है। वहीं, अमेरिका के टेक्सास में स्थित राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का एक उल्लेखनीय तरीका खोज निकाला है।एक शोध में सामने आया कि अवरक्त प्रकाश या इन्फ़्रारेड लाइट के साथ अमीनोसायनिन अणुओं को उत्तेजित करने से उनमें कंपन पैदा होता है, जो कैंसर कोशिकाओं की झिल्लियों को तोड़ने के लिए पर्याप्त है। सीधे तौर पर समझें तो वैज्ञानिकों का मानना है कि एक खास क्रिया के जरिए बाइब्रेशन उत्पन्न कर कैंसर को खत्म किया जा सकता है।
PM मोदी की योजना भी साबित हो रही कारगर
कैंसर के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’ देश में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में कारगर साबित हुई है। आयुष्मान भारत के चलते देश में कैंसर का समय पर इलाज होने के आंकड़ों में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक, आयुष्मान भारत योजना ने गरीब और कमजोर वर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ावा दिया है। इस योजना के चलते बीते 5 सालों में कैंसर एक महीने के अंदर कैंसर का इलाज कराने वालों के आंकड़े में 36% तक की बढ़ोतरी हुई है।