जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी देश पाकिस्तान द्वारा भेजे गए रेडिकल इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा स्थानीय आतंकियों की मदद से हिन्दू पर्यटकों की पहचान पूछकर हत्या करने की अमानवीय घटना के बाद भारत सरकार ने जिस तरह का रुख अपनाया है, वह भारत के सामर्थ्य और शक्ति का प्रमाण है। रेडिकल इस्लामिक आतंकियों द्वारा जिस तरह से लोगों को कलमा पढ़ने को कहा गया और पैंट उतारकर जाँच की गई, वह इस बात का प्रमाण है कि आतंकियों का यह कुकृत्य शरीयत और खलीफा राज के दुस्वप्न के लिए किया गया है। जो लोग इसे भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला समझ रहे हैं, वे वास्तव में इस मामले को समझने में भूल कर रहे हैं। यह भारत और आतंकी देश पाकिस्तान के बीच का मामला नहीं है, बल्कि व्यापक रूप से यह रेडिकल इस्लामिक आतंकियों द्वारा दुनियाभर में शरियत के माध्यम से खलीफा राज लागू करने का कुकृत्य है।
दुनिया भर के देशों में यह अभियान अलग- लग तरीके से चलाया जा रहा है और भारत में भी अनेक स्तरों पर चल रहा है। वास्तव में, यह लड़ाई कश्मीर या पाकिस्तान से आगे की है, क्योंकि पाकिस्तान कोई सीमाओं से घिरा मुल्क नहीं, बल्कि एक विचारधारा है और वह विचारधारा है रेडिकल इस्लाम की। और, इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि भले ही 1947 में इस्लाम के आधार पर भारत का विभाजन हो चुका हो, लेकिन वह विचारधारा आज भी भारत के भीतर फल फूल रही है और आतंकी आसिम मुनीर भी यही चाहता है कि भारत के हर मुसलमान के दिमाग में एक पाकिस्तान जन्म ले। इतिहास पर दृष्टि दौड़ाने और पाकिस्तान पर डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर के विचार पढ़ने के बाद यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि पाकिस्तान के विचार के पीछे का मूल कारण हिंदुओं के प्रति घृणा और काफिरोफोबिया ही है। यह भी नहीं नकारा जा सकता है कि भारत पर हमला करने वाले पहले रेडिकल इस्लामिक आतंकवादी मोहम्मद बिन कासिम से लेकर वर्तमान आतंकी असीम मुनीर तक यही ‘विचारधारा’ मार्गदर्शक शक्ति रही है।
पहलगाम की जघन्य घटना के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की अपनी जनसभा से विश्व को जो सन्देश दिया था, उसी के अनुरूप भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया और आतंकी देश पाकिस्तान के अंदर घुसकर उसको उसी की भाषा में समझाया। भारतीय सेना के ऐसे पुरुषार्थ की जितनी प्रशंसा की जाये वह उतनी ही कम है। इसके साथ ही भारत सरकार की प्रशंसा भी करनी चाहिए क्योंकि ऐसा निर्णय लेना सरल नहीं होता। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि क्योंकि भारत में रेडिकल इस्लाम से प्रेरित पाकिस्तानी आतंकी 2014 से पहले भी हमले करते रहे हैं, लेकिन उन दिनों उनको या तो बिरयानी परोसने की बातें होती थी या उनके समर्थक प्रधानमन्त्री से भेंट करते रहते थे। 26/11 का हमला कौन भूल सकता है? लेकिन उस समय की रीढ़विहीन सरकार ने क्या किया था, वह अब सार्वजनिक है। पाकिस्तान पर हमला तो दूर उस समय की सरकार ने हिन्दू टेरर या भगवा आतंकवाद जैसी झूठी कहानी गढ़ दी थी। ज्यादा जानकारी के लिए गृहमंत्रालय के तत्कालीन अवर सचिव आरवीएस मणि की पुस्तक ‘द मिथ बिहाइंड हिन्दू टेरर’ पढ़ी जा सकती है।
खैर! भारत सरकार और सेना बाह्य चुनौतियों से निपटने के लिए और आतंकियों तथा भारत के शत्रुओं को उन्ही की भाषा में समझाने के लिए पूरी तरह समर्थ और तैयार है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी का प्रमाण है। सेना की दो महिला अधिकारीयों द्वारा जिस तरह से मीडिया ब्रीफिंग की गई, उससे भारत सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत कितना ताकतवर है।
लेकिन, जिस तरह से मीडिया और सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है कि भारत में ही रहने वाले बड़ी संख्या में लोग आतंकी देश पाकिस्तान के लिए सहानुभूति रखते हैं और उनका दिल पाकिस्तान के लिए धड़कता है। उससे भारतीय सेना के दिवंगत जनरल विपिन रावत की उस बात की पुष्टि होती है कि भारत को हमेशा ढाई मोर्चे पर लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। बंगलादेश में तख्ता पलट होने के बाद यह अब 3.5 मोर्चा बना गया है। जहाँ तक बाह्य तीन मोर्चों की बात है तो सेना इनसे निपटने में सक्षम है, लेकिन भारत के भीतर पनपने वाले आधे मोर्चे का क्या? यह मोर्चा तो अंदर ही अंदर देशद्रोही हरकतें करता रहता है। यही आधा मोर्चा देशद्रोही है, गद्दार है। इसके अनेक प्रमाण हैं।
क्या इस बात को नकारा जा सकता है कि पहलगाम नरसंहार के लिए रेडिकल इस्लामिक आतंकियों को स्थानीय लोगों का सहयोग नहीं मिला होगा?
आतंकियों के जनाजे में शामिल होने वाली भीड़ क्या देशभक्त हो सकती है?
पहलगाम की घटना के बाद जब भारत सरकार ने पाकिस्तानियों को भारत से निकलने का आदेश दिया तो कितनी बड़ी फाल्ट लाइन्स का पता चला। लाखों पाकिस्तानी और भारतीय मुस्लिम महिलाओं द्वारा किये गए ‘निकाह जिहाद’ का भांडा फूटा। यह साजिश न जाने कब से चल रही है? यह जानना अधिक महत्त्वपूर्ण है कि ऐसी इस्लामिक साजिश चल क्यों रही थी? क्या देशभक्त लोग ऐसी साजिश रच सकते हैं?
पाकिस्तान जैसे शत्रु देश के लोगों के निकाह करना, उनके बच्चों को जन्म देना और भारत की सुख सुविधा लेकर पाकिस्तान के लिए दिल धडकना क्या देशद्रोह या गद्दारी नहीं है? पहलगाम की घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने जब पाकिस्तानी झंडे सड़क पर चिपकाये तो बुरखा पहनी महिलाओं द्वारा उन झंडों को निकालने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते सबने देखा है। उसे क्या कहेंगे?
पहलगाम की घटना के बाद कश्मीर घाटी से बाहर आये वीडियोज में मोमबत्ती हाथ में पकड़कर हंसते हुए मुस्लिमों को सबने देखा है। ऐसे वीडियो भी बाहर आ रहे हैं, जिनमें जब जालीदार टोपी पहने हुए लोगों को पहलगाम या ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पूछा जा रहा है तो वे साफ़ साफ़ मुकर रहे हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं है। भारत माता की जय या पाकिस्तान मुर्दाबाद कहने में तो उनके मुंह सिल गए हैं। एक वीडियो में तो बुरखा पहने लडकी बोल रही है कि पहलगाम हमला इसलिए हुआ कि हिन्दुओं ने बाबरी ढांचा तोड़कर राम मंदिर बना दिया। उसके अनुसार मोदी और योगी डायनासौर और कुत्ता हैं। ऐसे लोगों को क्या कहेंगे? कम से कम ये लोग भारत भक्त तो नहीं हैं!
वहीं, ‘द हिन्दू’ अखबार और उसकी पत्रकार विजेता की रिपोर्टिंग, द वायर और उसकी पत्रकार अरफा खानुम, सिद्धार्थ वर्धराजन के वीडियो और राणा अयूब जैसी चंदाचोर के पोस्ट देखें तो यही कहा जाएगा कि ये सभी भारत के गद्दार हैं। कांग्रेस के रशीद अल्वी का ब्यान हो या सोनिया गाँधी के दामाद रोबर्ट वाड्रा का ब्यान हो। उसे और क्या कहा जाएगा?
कांग्रेस के एक्स हैंडल से प्रधानमंत्री मोदी का सर कटा फोटो पोस्ट होने को क्या कहा जाएगा? कांग्रेसी नेता अजय राय द्वारा खिलौने विमान पर निम्बू मिर्ची लगाकर वीडियो जारी करना, क्या भारतीय वायुसेना का अपमान नहीं है? भारत सरकार ने 7 मई को मॉक ड्रिल के निर्देश जारी किये, लेकिन तथाकथित किसान नेताओं द्वारा 7 मई को ही रेल रोकों आन्दोलन की घोषणा करना और राकेश टिकैत द्वारा भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान का पानी रोकने को गलत मानना आखिर देशभक्ति की परिभाषा के अंतर्गत आएगा?
जब भारत ने पाकिस्तान के साथ जल संधि तोड़ी तो उसी समय पंजाब में आम आदमी पार्टी के भगवंत मान की सरकार ने हरियाणा का पानी रोक दिया, इस घटना को किस दृष्टि से देखना चाहिए? जब पहलगाम में इस्लामिक आतंकियों ने हिन्दू पर्यटकों को मारा तो उसके दूसरे ही दिन कुछ अधेढ़ महिलाओं का वीडियो बनाकर उस घटना को नकारना और ये सन्देश देना कि वहां सब ठीक है, उसे क्या कहा जाना चाहिए?
कांग्रेसी नेता उदयराज, द हिन्दू ग्रुप के मैगज़ीन ‘फ्रंटलाइन’ की एडिटर वैशना रॉय और रविश कुमार जैसों का सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर बबाल काटने को क्या देशद्रोह या गद्दारी नहीं कहना चाहिए?
कांग्रेस समर्थकों का सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी अजेंडे के तहत झूठ फ़ैलाने को क्या कहा जाना चाहिए? पाकिस्तान में जब बाढ़ आई थी, तब छाती पीटने वाले बॉलीवुड के ‘नटुओं’ की तरफ से पहलगाम की आतंकी घटना और सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आना किस बात का सूचक है?
एक तरफ भारतीय सेना के जवान अपने प्राण हथेली पर रखकर लड़ रहे हैं और हर देशभक्त भारतीय आतंकी देश पाकिस्तान और रेडिकल इस्लामिक विचार का विनाश चाहता है तो दूसरी तरफ भारत में रहने वाले गद्दार देश विरोधी नैरेटिव गढ़ रहे हैं। ऐसे गद्दारों का सफाया करने के लिए भारत सरकार को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। आतंकी देश पाकिस्तान को जहन्नुम बनाने के बाद भारत सरकार को सेना और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से भारत के भीतर पलने वाले पाकिस्तान परस्त गद्दारों के सफाये के लिए ‘ऑपरेशन गद्दार’ चलाना चाहिए। ऐसा करने से जनरल विपिन रावत सहित भारत की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सेना के वीर सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजली होगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श स्थापित होगा। नारायणायेती समर्पयामि..